कांग्रेस के गिरते ग्राफ से चिंता में सोनिया गांधी, बोलीं- आपसी मतभेद भुलाकर पार्टी को मजबूत करने की जरूरत

Sonia Gandhi on Congress: हाल ही में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी मंथन में जुट गई है. पार्टी अपना अस्तित्व खोती जा रही है, इसलिए नेतृत्व में परिवर्तन की मांग भी उठती रही है. लेकिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के भाषण से जो बड़ी बात निकली उसका निचोड़ ये है कि आपसी मतभेद भुलाकर पार्टी को मजबूत करने की जरूरत है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं की बैठक में कहा है कि आगे का रास्ता और भी चुनौतीपूर्ण है. हमारे समर्पण और प्रतिबद्धता की परीक्षा है. हमारे व्यापक संगठन के हर स्तर पर एकजुटता जरूरी है. इसे सुनिश्चित करने के लिए जो भी जरूरी होगा, वो करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं. हमारा फिर से मजबूत होना सिर्फ हमारे लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र और समाज के लिए भी जरूरी है.

कांग्रेस की ताजा हालत

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपना मुख्यमंत्री है.
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और झारखंड में कांग्रेस सरकार में साझीदार है.
एक साल के भीतर कर्नाटक, गुजरात, हिमाचल में विधानसभा चुनाव

एक साल के भीतर अब कर्नाटक, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. तीनों राज्यों में बीजेपी अभी सत्ता में है. इसके बाद अगले साल के अंत में राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी चुनाव है. मध्य प्रदेश में पिछली बार कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार तो बनाई थी. लेकिन पार्टी घर नहीं संभाल पाई और सत्ता हाथ से निकलकर बीजेपी के पास चली गई. अब कमलनाथ के नेतृत्व में एक बार फिर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू की है . सोमवार को भोपाल में कांग्रेस नेताओं ने मीटिंग की और चुनाव पर चर्चा की.

गिरता ही जा रहा है कांग्रेस का ग्राफ

सच्चाई ये है कि लगातार मिल रही हार से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल हिला हुआ है और ग्राफ गिरता ही जा रहा है.

17 राज्य-केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस का कोई राज्यसभा सांसद नहीं रह गया है.
राज्यसभा में कांग्रेस के महज 30 सांसद रह गये हैं, जो अब तक का सबसे कम है.
12 राज्यों में में लोकसभा का एक भी सांसद नहीं है.
9 राज्यों में लोकसभा का महज 1-1 सांसद है.
बंगाल, दिल्ली और आंध्र में तो कांग्रेस का कोई विधायक भी नहीं है.
साल 2014 में जब से देश में मोदी राज आया है तब से कांग्रेस के बुरे दिन शुरू हुए हैं. हाल ये है कि 2014 से अब तक 50 विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन कांग्रेस 11 ही जीत पाई. उसमें भी मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्य में जीत के भी सत्ता बीजेपी के पास चली गई.

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