दिल्ली नगर निगम के चुनाव 2023 से पहले संभव नहीं! जानें- क्या है वजह?

दिल्ली : विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र दिल्ली में नगर निगम के सभी वार्ड का फिर से परिसीमन कर रहा है, ऐसे में शहर में संभवत: अगले एक और साल तक निकाय चुनाव नहीं हो सकेंगे, क्योंकि निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण एक ‘‘व्यापक कार्य’’ है. चुनाव पहले इस साल अप्रैल में होने वाले थे, लेकिन 22 मई को तीन नगर निगमों को एकल नगर निकाय के रूप में एकीकृत किए जाने के कारण चुनाव स्थगित कर दिए गए थे.

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा शनिवार को जारी एक बयान के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली में नगर निगम के वार्ड के परिसीमन के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है. इस कार्य से दिल्ली में निकाय चुनावों का मार्ग प्रशस्त होगा, जो मई में तीन निगमों के फिर से एकीकरण के बाद पहला चुनाव होगा.

पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता ने कही ये बात
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता ने कहा कि परिसीमन एक ‘‘व्यापक कार्य’’ है और इसमें एक या डेढ़ साल लग सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, आमजन कुछ आपत्तियां उठा सकते हैं और जनप्रतिनिधि भी आयोग को सुझाव दे सकते हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि अब से कम से कम एक साल तक चुनाव हो सकते हैं.’’

परिसीमन की कवायद कितनी जल्दी पूरी की जा सकती है. इस सवाल के जवाब में दिल्ली के एक पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त मेहता ने कहा, ‘‘यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन यह काम कर रहा है और उन्हें कितना समय लगेगा. कोई इसे कम समय में भी कर सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं राज्य निर्वाचन आयुक्त था, तब मुझे यह काम करने में डेढ़ साल का समय लगा था.’’

क्या है मंत्रालय का बयान?
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि एमसीडी वार्ड के परिसीमन के लिए गठित आयोग में तीन सदस्य होंगे. द‍िल्‍ली के राज्य निर्वाचन आयुक्त विजय कुमार देव को इस आयोग का अध्यक्ष न‍ियुक्‍त क‍िया गया है. संसद ने राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के प्रावधान वाले ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022’ को पांच अप्रैल को मंजूरी दी थी.

विधेयक के अनुसार, नगर निगमों के एकीकरण से समन्वित एवं रणनीतिक योजना बनाई जा सकेगी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा. राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने पहले यहां कहा था कि तीन नगर निगमों के एकीकरण के लिए विधेयक पारित होने के बाद, नगर निगम चुनावों में लगभग एक साल की देरी होने की संभावना है.

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