ई-कॉमर्स सेक्टर में FDI नियमों में बदलाव करेगी सरकार, जानें क्यों?

सरकार ने इससे पहले दिसंबर 2018 में उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिये प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को उन कंपनियों के उत्पाद बेचने से रोका था जिनमें उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है.

सरकार ई-कॉमर्स सेक्टर (Ecommerce sector) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिनके तहत इस सेक्टर की एफडीआई वाली ऐसी कंपनियों को उन विक्रेताओं से उत्पाद खरीदने से रोकना है जिनमें उनकी खुद अथवा उनकी मूल कंपनी की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. सरकार ने इससे पहले दिसंबर 2018 में उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिये प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को उन कंपनियों के उत्पाद बेचने से रोका था जिनमें उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है.

मौजूदा नीति के मुताबिक आनलाइन बिक्री मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियों में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है, लेकिन उनके लिये गोदामों में रखे तैयार माल की बिक्री करने जैसी गतिविधियां चलाने का निषेध है.

CAIT का आरोप
सरकार का एफडीआई वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के मामले में नियमों में बदलाव के बारे में विचार करना महत्वपूर्ण है. क्योंकि देश के व्यापारियों का संगठन कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि ई-कॉमर्स कंपनियां फेमा और एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर रही हैं.

कैट के मुताबिक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट द्वारा नियमों के कथित उल्लंघन संबंधी ज्ञापन को प्रवर्तन निदेशालय और रिजर्व बैंक को जरूरी कार्रवाई के लिये भेज दिया है. बता दें कि हाल ही में अमेजन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट के खिलाफ कैट द्वारा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को की गई कई शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 22 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय और रिजर्व बैंक दोनों को अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा है. इनमें फ्लिपकार्ट और आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल के बीच करार में एफडीआई नीति का उल्लंघन, ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफडीआई नीति का उल्लंघन आदि शामिल है.

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