देश के कितना फायदेमंद है मिस्त्र के राष्ट्रपति का भारत दौरा

Republic Day: इस साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मंगलवार (24 जनवरी, 2023) को भारत पहुंचे। यह पहली बार है कि मिस्र के किसी राष्ट्रपति को इस आयोजन के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

मिस्र के राष्ट्रपति का भारत का यह दौरा कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सिसी के पूर्व सेना प्रमुख होने के कारण, मिस्र भारत से रक्षा उपकरण खरीद सकता है। जिसमें एलसीए तेजस, आकाश जैसी मिसाइलें, डीआरडीओ के स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन और रडार शामिल हैं। इसे रक्षा उद्योग सहयोग के हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल काहिरा का दौरा किया था जब एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। अगले महीने बेंगलुरू के येलहंका वायुसेना स्टेशन में एयरो-इंडिया 2023 में भाग लेने के लिए मिस्र को भी आमंत्रित किया गया है। वहीं मिस्र की सेना की एक सैन्य टुकड़ी गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेगी।

खाद्यान्न की कमी का सामना कर रहा मिस्त्र
मिस्र जो खाद्यान्न की कमी का सामना कर रहा है। क्योंकि इसके प्रमुख स्रोत युद्धरत यूक्रेन और रूस थे। वो भारत से गेहूं खरीदना चाहता है। पिछले साल मई में भारत ने गेहूं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बावजूद मिस्र को 61,000 टन निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन अनाज की कमी को देखते हुए देश अधिक अनाज चाहता है।

मिस्र परंपरागत रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है। भारत-मिस्र द्विपक्षीय व्यापार समझौता मार्च 1978 से चल रहा है और यह मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज पर आधारित है।

पिछले 10 साल में भारत और मिस्त्र के बीच द्विपक्षीय व्यापार पांच गुना से अधिक बढ़ा
पिछले 10 वर्षों में भारत और मिस्त्र के बीच द्विपक्षीय व्यापार पांच गुना से अधिक बढ़ा है। 2018-19 में यह 4.55 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंचा। महामारी के बावजूद, व्यापार 2019-20 में मामूली रूप से घटकर 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर और 2020-21 में 4.15 बिलियन अमरीकी डॉलर हुआ। 2021-2022 में द्विपक्षीय व्यापार का तेजी से विस्तार हुआ है। वित्त वर्ष 2020-2021 से 75 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 7.26 बिलियन तक पहुंचा। अधिकारियों ने कहा कि दोनों देश कई क्षेत्रों पर ध्यान देंगे और कृषि सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में से एक होगा।

बता दें, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग के लंबे इतिहास के आधार पर भारत और मिस्र के बीच घनिष्ठ राजनीतिक समझ है। राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंधों की स्थापना की संयुक्त घोषणा 18 अगस्त, 1947 को की गई थी।

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