मध्य प्रदेश: हार का डर या प्रयोग, किले को बचाने के लिए बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को 39 और उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. लिस्ट के मुताबिक, बीजेपी ने विंध्य और उसके आसपास की क्षेत्रों की 39 सीटों में से सात सीटों पर लोकसभा सांसद को उम्मीदवार घोषित किया है. इनमें नरेंद्र सिंह तोमर समेत तीन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं. बीजेपी के इस फैसले को कुछ लोग मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं तो कुछ इसे हार का डर भी बता रहे हैं.

बीजेपी की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक, केंद्रीय कृषी मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से मैदान में उतारा गया है. दिमनी सीट मुरैना जिले की छह विधानसभा सीटों में से एक है. 2018 के विधानसभा चुनाव और 2020 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. ऐसे में अब बीजेपी ने सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतार दिया है.

दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को नरसिंहपुर सीट से मैदान में उतारा है. प्रहलाद पटेल फिलहाल दामोह लोकसभा सीट से सांसद हैं. तीसरा बड़ा नाम केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का है, जिन्हें निवास सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया है. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह फिलहाल मंडला लोकसभा सीट से सांसद हैं. इसके अलावा चार और सांसद हैं जिन्हें बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में उतारने का फैसला किया है.

सवाल यह उठता है कि आखिर मध्य प्रदेश में बीजेपी के सामने ऐसी क्या मुश्किल आन पड़ी की तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को मैदान में उतारना पड़ा गया है. तो इसके पीछे बीजेपी की हर हाल में जीत की रणनीति बताई जा रही है. क्योंकि जिन सात सीटों पर तीन केंद्रीय मंत्री और चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला लिया गया है उसमें कई सीटें बीजेपी की कमजोर कड़ी रही.

दिमनी सीट पर मिलेगी कड़ी टक्कर
दरअसल, मुरैना जिले की दिमनी सीट जो फिलहाल कांग्रेस के कब्जे में है. ऐसे में बीजेपी यहां से नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारकर कांग्रेस के किले में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. मुरैना नरेंद्र सिंह तोमर का गृह जिला है और वो यहीं से लोकसभा सांसद भी हैं. यही हाल निवास सीट पर भी है. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर राम प्यारे कुलस्ते को टिकट दिया था लेकिन वो जीत नहीं मिल पाई थी. ऐसे में अब बीजेपी ने कांग्रेस के किले में सेंधमारी करने के लिए यहां से फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतार दिया है.

जबलपुर की पश्चिम सीट से ताल ठोकेंगे राकेश सिंह
इसके अलावा सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक राकेश सिंह को बीजेपी ने जबलपुर की पश्चिम विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है. जबलपुर पश्चिम की गिनती कांग्रेस की मजबूत सीट में होती है. पिछले लगातार दो चुनावों से यहां बीजेपी को हार ही नसीब हुई है. ऐसे में बीजेपी ने राकेश सिंह को मैदान में उतारा है. राकेश सिंह जबलपुर से बाचर बार के सांसद हैं.

दिग्गजों को मैदान में उतारने के पीछे ये है वजह
तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को मैदान में उतरने के पीछे कहा यहा भी जा रहा है कि बीजेपी किसी भी तरह से कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इन सात नेताओं में अधिकतर को जीत की गारंटी माना जाता है और मध्य प्रदेश की राजनीति में इनकी गिनती भी दिग्गजों में होती रही है. यही वजह है कि बीजेपी इन नेताओं के जरिए कांग्रेस के किले में सेधमारी के साथ-साथ जीत की गारंटी के हिसाब से आगे बढ़ रही है.

अब सीएम पद के कई उम्मीदवार, हर कोई लगाएगा पूरा ज़ोर
दूसरी लिस्ट में कई ऐसे नाम हैं जिनका जिक्र सीएम बनने की रेस में आता रहा है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया गया है. वही राकेश सिंह जबलपुर से सांसद है. 2018 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव इन्ही के नेतृत्व में लड़ा गया था. ये उस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे, फिलहाल लगातार चार बार से बीजेपी के सांसद है.

बीजेपी ने इन नामों पर इसलिए भी दाव खेला है क्योंकि पार्टी को लगता है जब नेता सीएम की रेस में होंगे तो जमकर मेहनत करेंगे. यही कारण है नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल में, प्रहलाद पटेल महाकौशल में तो कैलाश विजयवर्गीय मालवा निमाड़ में ताकत झोकेंगे. यानी इन नेताओं के चुनाव लड़ने करीब 60-70 सीटों पर असर पडे़गा.

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