‘नमाज पढ़ें लेकिन इमामत का हक नहीं’, महिलाओं के लिए बन रही मस्जिद पर बोले मुस्लिम धर्मगुरु

झारखंड के कपाली में महिलाओं के लिए बनाई जा रही देश की पहली मस्जिद का निर्माण कार्य साल के अंत तक पूरा हो जाएगा. इस मस्जिद में महिलाएं भी आ जा सकेंगी और उन्ही के द्वारा इसका रख-रखाव भी किया जाएगा. इस मस्जिद के निर्माण से पहले ही कई मुस्लिम पक्षकारों ने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि मस्जिद में महिलाएं जा सकती हैं लेकिन इमाम एक पुरुष ही होना चाहिए. उत्तर प्रदेश के जिले संभल में कपाली में मस्जिद के मामले में संभल के धर्मगुरु और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुलकर अपने विचार रखे हैं.

इस पर कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपनी राय दी है. जिले के मुस्लिम धर्मगुरु का कहना है कि महिलाएं नमाज और इबादत एक साथ कर सकती हैं लेकिन महिला इमाम नहीं बन सकती हैं. उनका कहना है कि महिलाओं को ऐसा करने का हक नहीं है. उनके अनुसार सिर्प पुरुष ही नमाज पढ़ा सकते हैं. सिर्फ इस बात को छोड़ दिया जाए तो शहर के ज्यादातर उलेमाओं ने मस्जिद बनाने के फैसले का स्वागत किया है. बता दें कि कपाली में बन रही इस मस्जिद में 500 महिलाएं एक साथ नमाज अता करेंगी.

बराबरी का हक मिलना चाहिए
वहीं एक अन्य धर्मगुरु ने कहा कि महिलाओं के लिए यह बहुत अच्छी बात है. महिलाएं जरूर जाएं और वहां पर नमाज पढ़ें लेकिन, वहां आस-पास से मर्दों का गुजरना न हो. इस बात का उन्हें ध्यान रखना होगा. उन्होंने भी कहा कि नमाज पढ़ सकती हैं, तकरीर कर सकती हैं, बोल सकती हैं लेकिन इमामत का हक उन्हें नहीं है. वहीं मुस्लिम व्यक्ति मोहम्मद जफर ने कहा कि यह बहुत अच्छी पहल है. महिलाओं के लिए बराबरी का हक मिलना चाहिए.

धर्मगुरु दे रहे अलग-अलग राय
मोहम्मद जफर ने कहा कि हमारे मौलाना और उलेमाओं को भी महिलाओं को इस बात की इजाजत देनी चाहिए. औरतों को नमाज पढ़नी और पढ़ानी चाहिए जिससे समाज में एक अच्छा पैगाम जाएगा. उन्होंने कहा कि महिलाएं नमाज पढ़ सकती हैं या नहीं और उन्हें इमाम बनना चाहिए या नहीं इस पर धर्मगुरु अपनी-अपनी राय देंगे, लेकिन यह पहल बहुत ही सराहनीय है. दरअसल महिलाओं के लिए बन रही मस्जिद पर सभी अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. कुछ लोग महिलाओं के इमाम बनने के खिलाफ हैं हालांकि ज्यादातर उनके एकसाथ नमाज पढ़ने वाले फैसले के समर्थन में दिख रहे हैं.

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