SC ने बढ़ाई समयसीमा, शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता मामले पर स्पीकर को अब 10 जनवरी तक देना होगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को अपने फैसले में महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए 10 जनवरी तक का समय बढ़ा दिया है. कोर्ट ने यह फैसला स्पीकर की ओर से शिवसेना विधायकों के अयोग्यता मामले में विधानसभा सचिवालय की ओर से तीन हफ्ते समय और बढ़ाने की गुहार लगाने के बाद किया गया है.

देश की सबसे बड़ी अदालत ने महाराष्ट्र स्पीकर को इस मामले में फैसला करने की 10 दिन की और मोहलत देते हुए समयसीमा बढ़ा दी है. स्पीकर को फैसला सुनाने के लिए पहले यह समयसीमा 31 दिसंबर थी, लेकिन अब कोर्ट ने 10 दिन और बढ़ाते हुए ⁠10 जनवरी 2024 तक फैसला देने को कहा है. स्पीकर नार्वेकर को सीएम शिंदे और 33 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाना है.

जल्द से जल्द मामले पर हो फैसलाः SC
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को स्पीकर राहुल नार्वेकर को शिवसेना पार्टी में टूट के बाद एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला लेने के लिए समय दिया था. तब शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. फिर कोर्ट ने सुनवाई को 30 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में 30 अक्टूबर को मामले पर फिर सुनवाई हुई और इसमें विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए स्पीकर नार्वेकर को 31 दिसंबर तक की समयसीमा दी गई थी. लेकिन अब कोर्ट ने इसमें 10 दिन का इजाफा करते हुए 10 जनवरी तक समयसीमा बढ़ा दी है.

ठाकरे गुट ने दायर की थी याचिका
सुनवाई के दौरान CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच इस बात पर अड़ी रही कि स्पीकर नार्वेकर को अगले साल 10 जनवरी तक फैसला सुनाना होगा. सीजेआई ने कहा, “स्पीकर ने यह संकेत दिया था कि कार्यवाही 20 दिसंबर तक पूरी हो जाएगी और उन्होंने इसके लिए और समय की मांग की थी. पहले से निर्धारित समयसीमा को ध्यान में रखते हुए, हम स्पीकर को फैसला देने के लिए 10 जनवरी, 2024 तक का समय और देते हैं.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाएं शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) के शरद पवार गुट द्वारा दायर की गई थीं.

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