Delhi NCR में रेलवे सेफ्टी जोन से हटाई जाएंगी 48 हजार झुग्गियां, SC का आदेश

दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली-एनसीआर में तीन महीने के अंदर लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों (Slum Areas) को हटाने का आदेश दिया है. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास बनी झुग्गियां हटाई जाएं. कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया गया है कि कोई भी अदालत झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर स्टे नहीं देगी.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 31 अगस्त को दिए एक आदेश में कहा, ‘अगर कोई अतिक्रमण के संबंध में कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है, जो रेलवे पटरियों के पास किया गया है, तो यह प्रभावी नहीं होगा.’ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि ये झुग्गी बस्ती हटाने के लिए चरणबद्ध तरीक़े से काम किया जाए. रेलवे सुरक्षा ज़ोन में सबसे पहले अतिक्रमण हटाया जाए, जो कि तीन महीने में पूरा कर दिया जाए.

किसकी याचिका पर दिया गया फैसला?
बता दें कि 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी रेलवे ट्रैक के सेफ्टी जोन से झुग्गियों को हटाने का आदेश जारी किया था. उस दौरान काफी पॉलीटिकल ड्रामा हुआ था और सभी राजनीतिक पार्टियां झुग्गी में रहने वाले लोगों के समर्थन में उतर आई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश एम. सी. मेहता मामले में दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट साल 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर आदेश जारी करता रहता है.

भारतीय रेलवे में झुग्गियों को लेकर कोर्ट में कही ये बातें
भारतीय रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ झुग्गीवासियों का अतिक्रमण है, जिसमें से 70 किलोमीटर लाइन के साथ बहुत ज्यादा है. यहां करीब 48000 झुग्गियां हैं. रेलवे ने कहा कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था, जिसके तहत इन झुग्गी बस्तियों को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था. हालांकि राजनैतिक दखलंदाजी के चलते रेलवे लाइन के आसपास का ये अतिक्रमण अब तक हटाया नहीं जा सका है.

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कैसे हटाई जाएंगी झुग्गियां?
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार, रेलवे और संबंधित नगर निगमों के सभी हितधारकों की बैठक की जाए. दिल्ली शहरी आश्रय सुधार ट्रस्ट (DUISB) की बैठक अगले सप्ताह बुलाई जाए और काम शुरू किया जाए. अपेक्षित राशि का 70% रेलवे वहन करेगी और 30% राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा.

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