‘लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव के लिए हो एक ही वोटर कार्ड’, वन नेशन-वन इलेक्शन पर किस दल ने क्या सुझाव दिया?

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ फिर एक बार चर्चा में है. नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्त्वकांक्षी योजना पर सभी स्टेकहोल्डर्स की राय जानने और एक ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई है. इस कमिटी को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राय बता दी है.

भाजपा का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने से इसकी शुरुआत होनी चाहिए जबकि स्थानीय चुनावों को साथ में कराने की दिशा में बाद में बढ़ना चाहिए. इस तरह मोटामाटी बात ये है कि भारतीय जनता पार्टी का वन नेशन-वन इलेक्शन को पूरी तरह समर्थन है.

बीजेपी के समर्थन की वजह
बीजेपी के जिस डेलिगेशन ने रामनाथ कोविंद की कमिटी को अपनी राय और पार्टी की तरफ से एक मेमोरेंडम सौंपा, उसमें पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्र में पर्यवारण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल रहें. भारतीय जनता पार्टी ने देश में होने वाले लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव के लिए एक ही इलेक्टोरल रोल और वोटर आईडी बनाने की वकालत की.

भारतीय जनता पार्टी ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के पक्ष में तर्क देते हुए गवर्नेंस और खर्च का मुद्दा उठाया. बीजेपी का कहना है कि बार-बार चुनाव कराने से राजनीतिक दलों से लेकर सरकार को भारी-भरकम खर्च उठाना पड़ता है. साथ ही बीजेपी ने सुरक्षा बलों, शिक्षकों, स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ के कामकाज के भी चुनाव के कारण प्रभावित होने की बात की है.

कांग्रेस ने क्या कहा था?
कांग्रेस पार्टी ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के विचार को खारिज किया है. पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली हाई-लेवल कमिटी को पार्टी की राय बता दी थी. खरगे ने कहा था कि एक साथ सभी चुनाव कराने का विचार संविधान की मूल भावना ही के खिलाफ है और एक संसदीय प्रणाली वाले देश में ये नहीं हो सकता. कांग्रेस पार्टी ने हाई-पावर कमिटी को जल्द से जल्द भंग करने की भी मांग की थी.

दूसरी पार्टियों की क्या राय?
लॉ कमिशन ने 2018 के अगस्त महीने में एक मसौदा जारी किया था जिसके मुताबिक तृणमुल कांग्रेस, डीएमके, एआईएमआईएम, सीपीआई, सीपीआई-एम, तेलुगू देशम पार्टी, आम आदमी पार्टी और जनता दल सेक्युलर ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का विरोध किया था.

अब इन पार्टियों की क्या राय है, क्या उसमें कुछ तब्दीली आई है, इस पर कोई जानकारी नहीं मिली.

वहीं, अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर सहमति जताई थी. इनके अलावा शिरोणणि अकाली दल, बीजू जनता दल, वाईएसआरसीपी, शिवसेना ने भी वन नेशन-वन इलेक्शन का समर्थन किया था.

हालांकि, तब से अब तक इन पार्टियों के गठबंधन के स्वरूप में कुछ तब्दीली आई है. शिवसेना अब दो हिस्सों में बंट गई है. समाजवादी पार्टी अब इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. तो क्या इससे इन पार्टियों का इस मुद्दे पर कोई स्टैंड भी बदलेगा, ये देखने वाला होगा.

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