केजरीवाल की मुफ्त योजना AAP को विजयी बना पाएगी, आधी आबादी को साधने का बड़ा दांव?

सियासत में जाति, धर्म, उम्र और पेशे के आधार पर मतदाता कई तरह के वोटबैंक में बंटे हुए हैं. सियासी दल महिलाओं को भी ऐसे ही वोट बैंक के तौर पर देखते हैं, क्योंकि उनके वोटिंग पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है. महिलाएं अब पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल रही है. पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा वोटिंग ही नहीं कर रही है बल्कि अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट कर रही है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की महिलाओं को एक बड़ा तोहफा दिया है. दिल्ली की हर महिला को एक हजार रुपये प्रति माह देने का ऐलान किया है, जो राजधानी में आम आदमी पार्टी के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.

केजरीवाल सरकार की वित्त मंत्री आतिशी ने सोमवार, 4 मार्च को दिल्ली विधानसभा में बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने राजधानी की महिलाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ की घोषणा की. इसके तहत दिल्ली की 18 साल से अधिक उम्र की हर महिला को हर महीने 1000 रुपये दिए जाने का प्रावधान है. आम आदमी पार्टी ने इसे राजधानी में राम राज्य आने की संज्ञा दी है. केजरीवाल सरकार की ये घोषणा गरीब-झुग्गी-झोपड़ी वालों के बीच पार्टी की लोकप्रियता को और बढ़ा सकती है.

मध्य प्रदेश की उदाहारण है सामने
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल सरकार ने जिस तरह से महिलाओं को एक हजार रुपये देने का दांव चला है, उसका सियासी प्रभाव निश्चित रूप से सातों संसदीय सीटों पर पड़ सकता है. यह बात ऐसी ही नहीं कही जा रही है बल्कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नतीजों को देखा जा चुका है. शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एमपी में ‘लाडली बहना योजना’ के अंतर्गत हर महिला को 1,250 रुपये देने की घोषणा कर सारे राजनीतिक समीकरण पलट दिए थे. उसी फॉर्मूले को दिल्ली में आजमाने का दांव आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चला है.

केजरीवाल का ट्रंप कार्ड
दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर तीसरी बार क्लीन स्वीप करने के मद्देनजर बीजेपी ने अपने पुराने चेहरों को बदलकर नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. नार्थ दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ही पुराने चेहरे हैं, जिन्हें बीजेपी ने फिर से टिकट दिया है बाकी सभी सांसदों के टिकट काट दिए हैं. वहीं, बीजेपी को मात देने के लिए आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रखा है, जिसके तहत 4 सीट पर AAP और 3 सीट पर कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरेगी. कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद केजरीवाल अब अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद में है, जिसके लिए महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने का ट्रंप कार्ड चला है.

मुफ्त योजनाओं का कमाल
दरअसल, दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त योजनाओं की घोषणा करने की जो राजनीति शुरू की थी, उसने उन्हें दिल्ली में अजेय बना दिया. इन्हीं मुफ्त की योजनाओं के दम पर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब की सत्ता हासिल कर राष्ट्रीय पार्टी बन गई. दिल्ली की सत्ता पर भले ही आम आदमी पार्टी 2013 से काबिज हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में अपना खाता राजधानी में नहीं खोल सकी. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों सीटें अपने नाम करने में कामयाब रही थी.

दिल्ली में कौन कहां लड़ रहा?
दिल्ली विधानसभा और एमसीडी पर अपना कब्जा जमाने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर दिल्ली की लोकसभा सीटों पर है, जिसके लिए ही अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है. आम आदमी पार्टी दिल्ली में नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ रही जबकि कांग्रेस उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट पर किस्मत आजमा रही है. आम आदमी पार्टी ने अपनी चारों सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान भी कर दिया है, जिसमें ज्यादातर अपने विधायकों पर दांव लगाया है.

महिलाओं को केजरीवाल का तोहफा
केजरीवाल मुफ्त बिजली और पानी पहले से दिल्ली वालों को दे रहे हैं. महिलाओं को दिल्ली की सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा के बाद अब एक हजार रुपये महीने देने की घोषणा की है. केजरीवाल सरकार ने महिलाओं के लिए पहले ही डीटीसी बसों में यात्रा मुफ्त कर रखी है. इस योजना को लेकर दिल्ली में महिलाओं में केजरीवाल सरकार पहले से अधिक लोकप्रिय है.

ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को लिए एक और तोहफा दे दिया है, जिसमें हर महीने उन्हें एक हजार रुपये मिलेंगे. ऐसे में केजरीवाल सरकार के लिए प्रति महिलाओं के समर्थन और बढ़ सकता है, क्योंकि इसका फायदा गरीब-झुग्गी-झोपड़ी में रह रही महिलाओं को होगा. यही अरविंद केजरीवाल का दिल्ली में वोटबैंक है, जिसके सहारे नगर निगम से लेकर विधानसभा तक में काबिज हैं.

दिल्ली में हर घर बिजली और पानी
केजरीवाल सरकार ने बजट में ऐलान किया है कि आगामी वित्तीय वर्ष में दिल्ली सरकार के अधीन आने वाली हर इमारत की छत पर सोलर प्लांट होंगे. दिल्ली सरकार हरित ऊर्जा का लक्ष्य 2027 तक 4500 मेगावाट रखा है, जो कुल बिजली आपूर्ति का 25 फीसदी है. इसके लिए सभी सरकारी इमारतों की छत पर सौर संयंत्र लगाए जाएंगे. पावर सेक्टर के लिए 3353 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव रखा गया है. इसी तरह से दिल्ली में हर घर के लिए पानी और सीवरेज सुविधाओं का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए 7195 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा है.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार 200 युनिट तक बिजली मुफ्त दे रही है. ठंड के मौसम में ज्यादातर लोगों का जीरो बिल आता है. दिल्ली में मुफ्त बिजली से हर महीने 1500 से 2000 रुपये औसतन बच जाता है. इसी तरह मुफ्त पानी होने से 500 रुपये हर महीने बच जाते हैं. मुफ्त बस यात्रा होने से महिलाओं को हर माह कम से कम दो से तीन हजार रुपये की बचत होती है. खासकर कामकाज करने वाली महिलाओं को इसका लाभ मिल रहा है. ऐसे में हर महीने एक हजार महिलाओं के देने का दांव लोकसभा चुनाव में ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है.

लोकसभा चुनाव में मिलेगा फायदा
केजरीवाल सरकार की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना का लोकसभा में फायदा मिलेगा? इसे लेकर सियासी कयास लगाए जाने लगे हैं. राजनीति विश्लेषक भी इस योजना को सीधे-सीधे आधी आबादी के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं. केजरीवाल सरकार की तरफ से पहले से फ्री बिजली और पानी की योजना चलाई जा रही है। ये योजनाएं दिल्ली में पहले से ही लोगों के बीच काफी पसंद की जा रही है. इसके चलते ही आम आदमी पार्टी को दिल्ली में लगातार दो बार से प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर आ रही है और अब लोकसभा चुनाव को फतह करने का प्लान बनाया है.

महिलाओं का वोटिंग पैटर्न बदला
देश में महिलाओं के वोटिंग पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है. महिलाएं सिर्फ पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोटिंग ही नहीं कर रही है बल्कि अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट कर रही है. महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की वोटिंग एक फीसदी ज्यादा रहा था. दिल्ली मेट्रोपोलिटन राज्य हैं. यहां शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय का स्तर देश के टॉप स्टेश में शुमार हैं. दिल्ली में पुरुषों के साथ महिलाएं कदम से कदम मिलाकर चल रही है और अपने निर्णय भी खुद ले रही है. वोटिंग को लेकर जागरुकता का स्तर ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक है.

शहरी सीटें होने के चलते यहां महिलाओं का वोट प्रतिशत काफी अच्छा रहता है.इस बात को चुनाव आयोग के आंकड़े से भी समझा जा सकता है. दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव में 62.62 फीसदी पुरुषों और 62.55 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले थे. इससे साफ है कि वोट देने में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं पीछे नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री महिला सम्म्मान योजना वाला दांव आम आदमी पार्टी के लिए कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि महिलाएं खुलकर वोटिंग का उपयोग कर रही हैं. देश में विकास और चुनावी रिफॉर्म के चलते महिलाओं की वोटिंग फीसदी में बढ़ोतरी हो रही है.

महिला वोटर्स: मोदी, ममता से नीतीश तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बिहार में नीतीश कुमार और ममता बनर्जी तक महिलाओं के वोटबैंक पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं. मोदी सरकार ने तमाम योजनाओं को महिलाओं पर केंद्रित कर रखा है. बीजेपी की जीत में भी महिला वोटरों की अहम भूमिका रही है, जिसे पीएम मोदी खुद ही कह चुके हैं. नीतीश कुमार भी महिला वोटबैंक को मजबूती से बनाए रखने के लिए शराबबंदी कानून लेकर आए तो ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल में जीत के पीछे भी महिला वोटर की भूमिका मानी जाती है.

अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को एक हजार रुपये देने का फैसला किया है और लोकसभा चुनाव 2024 जीतने का दांव चला है. केजरीवाल सरकार की इस घोषणा से दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों में एक बार फिर बड़ा बदलाव हो सकता है. बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में एक तरफा जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे दिल्ली की सियासत में बीजेपी के लिए कांग्रेस-आम आदमी पार्टी का गठबंधन एक बड़ी चुनौती बन सकता है.

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