दिल्ली HC ने तब्दील किया अपना पहले का आदेश, बेटी का तिलक होने के बाद कुलदीप सेंगर को करना होगा सरेंडर

Unnao rape case: दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को करारा झटका दिया। अंतरिम जमानत से जुड़े अपने पहले के आदेश को तब्दील करते हुए अदालत ने सेंगर को बेटी के तिलक समारोह के बाद सरेंडर करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि सेंगर को उसकी बेटी की शादी से पहले फिर से अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। अदालत ने पहले सेंगर को दो हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

दिल्ली हाईकोर्ट को शुक्रवार सुबह सूचित किया गया कि सेंगर को तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है। इसके बाद उसने पीड़िता की याचिका पर सेंगर को दी गई अंतरिम जमानत से जुड़े आदेश में संशोधन किया। पीड़िता ने अपनी याचिका में यह कहते हुए सेंगर की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग की थी कि उसे और उसके परिवार को खतरा है।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता और पूनम ए बांबा की बेंच ने निर्देश दिया कि सेंगर एक फरवरी को जेल प्रशासन के सामने समर्पण करेगा। उसकी बेटी का तिलक समारोह 30 जनवरी को है। बेंच ने कहा कि सेंगर को छह फरवरी को एक बार फिर अंतरिम जमानत पर जेल से रिहा किया जाए और वह 10 फरवरी को दोबारा सरेंडर करे। उसकी बेटी की शादी आठ फरवरी को होनी है। बेंच ने इससे पहले 16 जनवरी को सेंगर को उसकी बेटी की शादी के मद्देनजर 27 जनवरी से 10 फरवरी तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

पीड़िता सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रही। उसने कहा कि बाहर आकर कुलदीप सेंगर उसे और मामले के गवाहों को मरवा भी सकता है। लोकल सरकारी अधिकारी उसके नियुक्त किए हुए हैं। मेरी गुजारिश है कि उसे रिहा न किया जाए। पीड़िता की ओर से पेश अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा कि सेंगर जब हिरासत में था, तब भी सुरक्षा को लेकर आशंकाएं थीं। आमतौर पर कैदियों को शाम को जेल से रिहा किया जाता है, लेकिन सेंगर को सुबह जल्दी रिहा कर दिया गया। ये उसकी ताकत को दर्शाता है।

सेंगर की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रमोद दुबे ने पीड़िता की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अदालत ने उनके मुवक्किल को राहत देते समय पर्याप्त शर्तें लागू की हैं। कोर्ट अंतरिम जमानत की अवधि घटाने के बजाय सेंगर से अपने घर में ही रहने के लिए कह सकती है। सीबीआई ने पहले सेंगर की बेटी की शादी पर मुहर लगाकर जमानत का विरोध नहीं किया था। था। आज अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने अदालत से कहा था कि वह अंतरिम जमानत से संबंधित आदेश पर पुनर्विचार कर सकती है। उसे वापस भी ले सकती है।

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