हरियाणा में ‘घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस’, पूर्व CM हुड्डा लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव को भी दे रहे धार

हरियाणा में कांग्रेस लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव को फतह करने में जुट गई है. ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के जरिए राहुल गांधी मिशन-2024 में जीत हासिल करने में जुट गई है तो हरियाणा में पार्टी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में मनोहर लाल खट्टर सरकार खिलाफ सड़क पर उतर गई है. पार्टी ने खट्टर सरकार के खिलाफ सियासी माहौल बनाने के लिए सोमवार से ‘घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस’ अभियान शुरू किया है. कांग्रेस इस अभियान के जरिए घर-घर जाकर खट्टर सरकार की नाकामियों को उजागर करेगी. इस तरह से हरियाणा की सियासी सरगर्मी तेज हो गई है और हुड्डा ने कांग्रेस की सत्ता की वापसी के लिए जद्दोजहद शुरू कर दिए हैं. ऐसे में देखना है कि हर घर कांग्रेस के जरिए हुड्डा क्या सियासी करिश्मा दिखा पाते हैं?

प्रदेश के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जींद से ‘घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस’ अभियान शुरू किया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान इसे नारनौल में और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक से इस अभियान को शुरू किया. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अभियान के तहत 15 जनवरी से 20 मार्च तक राज्यभर में यात्रा करके हरियाणा की बीजेपी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ सियासी माहौल बनाने की कोशिश करेंगे. इस तरह कांग्रेस हरियाणा के सियासी संग्राम में पूरे दमखम के साथ उतर गई है और सत्ता में वापसी के लिए किसी तरह का कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

प्रदेश कांग्रेस में हो रही ताबड़तोड़ जॉइनिंग
कांग्रेस ने ‘घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस’ अभियान के जरिए प्रदेश के मतदाताओं से वन टू वन संवाद स्थापित करने की रणनीति बनाई है. इस दौरान महंगाई, बेरोजागरी, अपराध और महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर सरकार को घेरेगी. हरियाणा कांग्रेस में ताबड़तोड़ जॉइनिंग हो रही है. अब तक अन्य दलों से 37 पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. कांग्रेस के टारगेट पर बीजेपी और जेजेपी के नेता हैं, जिन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने साथ जोड़ने में जुटे हुए हैं.

हरियाणा में तीन महीने के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं और साल के आखिर में यहां पर विधानसभा चुनाव है, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव भी करा सकती है. इसी सियासी संभावना को देखते हुए कांग्रेस ने अभी से अपने चुनावी अभियान को धार देना शुरू कर दिया है, लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. एक तरफ कांग्रेस घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस अभियान शुरू कर रही है तो दूसरी तरफ बूथ मैनेजमेंट का भी काम शुरू कर दिया है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने बताया कि नए अभियान के तहत बूथ लेवल पर 31-31 लोगों की कमेटी बनेगी. ये बोगस वोटों को कटवाएगी, लोगों की समस्याओं को उठाएगी और इनको पार्टी से जोड़ेगी.

मुफ्त वादों की गारंटी के साथ मैदान में कांग्रेस
वहीं, लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की तरफ से दिल्ली और चंडीगढ़ में पांच-पांच लोकसभा क्षेत्रों के लिए वार रूम बनाए जा रहे हैं. दिल्ली वार रूम का चेयरमैन जयदीप धनखड़ और को-चेयरमैन अमित यादव तथा अजय छिकारा को बनाया गया है. चंडीगढ़ वार रूम का चेयरमैन चांदवीर हुड्डा और को-चेयरमैन रविंद्र रावल तथा पवन जैन को बनाया गया है. इसके अंतर्गत 30 कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए जाएंगे, जो सभी 10 लोकसभा क्षेत्रों विभिन्न जिम्मेदारियों को संभालेंगे.

कांग्रेस हरियाणा की सत्ता से साल 2014 से ही बाहर है. पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में अपनी सत्ता गंवा दी थी, उसके बाद से कांग्रेस यहां पर सत्ता में वापसी के लिए बेताब है. 2019 के लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भी कांग्रेस की वापसी नहीं हो सकी. कांग्रेस अब 10 साल के बाद दोबारा से अपना सियासी वनवास खत्म करने की कोशिशों में जुट गई है. कांग्रेस ने मुफ्त वादों की गारंटी दे रखा है तो दूसरी तरफ सियासी समीकरण को दुरुस्त करने के लिए सामाजिक सम्मेलन भी कर रही है.

जातिगत समीकरण भी साध रही कांग्रेस
कांग्रेस ने हरियाणा में 300 यूनिट मुफ्त बिजली, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, घरेलू गैस 500 रुपये प्रति सिलेंडर, दो लाख खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती, गरीब परिवारों को 100-100 गज का प्लॉट मुफ्त, वृद्धा पेंशन 6000 रुपये, किसानों को एमएसपी की गारंटी और खिलाड़ियों के लिए पदक लाओ, पद पाओ का वादा किया है. इसके अलावा कांग्रेस ने हरियाणा में ब्राह्मण से लेकर दलित और ओबीसी तक का सम्मेलन कर चुकी है.

इसके जरिए कांग्रेस अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त कर बीजेपी से मुकाबला करना चाहती है. कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि जाट और मुस्लिम बिरादरी उसके साथ है, ऐसे में अगर ओबीसी तथा दलित भी साथ आ जाते हैं तो लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा की राह भी आसान हो जाएगी. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस का यह दांव क्या सफल हो पाएगा?

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