इंडियन ऑयल ने अडानी पोर्ट के साथ हुए करार पर दी सफाई, जानिए क्या हैं कांग्रेस और महुआ मोइत्रा का आरोप

अडानी ग्रुप विवाद को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी दल मोर्चा खोले हुए हैं। कांग्रेस पार्टी ने 17 फरवरी को आरोप लगाया था कि सरकार के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) को अडानी बंदरगाहों से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आयात करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। वहीं अब इस मुद्दे पर इंडियन ऑयल ने सफाई दी है।
क्या है महुआ मोइत्रा का आरोप?
वहीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने 15 फरवरी को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय सतर्कता आयोग और बंदरगाहों और जहाजरानी मंत्रालय को टैग करते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने अडानी पोर्ट्स की दिसंबर तिमाही की आय पर आधारित एक समाचार रिपोर्ट के स्क्रीनग्रैब को ट्वीट किया, जिसमें अडानी ग्रुप ने कहा था, “एलपीजी हैंडलिंग सुविधाओं के निर्माण के लिए गंगावरम पोर्ट (Gangavaram Port) पर टेक-या-पे अनुबंध के लिए आईओसीएल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।”

इंडियन ऑयल का बयान
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में महुआ मोइत्रा के आरोपों पर जवाब दिया। IOC ने कहा कि उसने केवल अडानी पोर्ट्स और SEZ के साथ एक गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और कोई ‘टेक या पे’ करने का समझौता नहीं था।” IOC के ट्वीट को कई लोगों ने अडानी पोर्ट्स और SEZ के दावे की अस्वीकृति के रूप में देखा।
कांग्रेस का आरोप
महुआ मोइत्रा को IOC की ओर से दिए गए जवाब का जिक्र करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पूछा, “क्या अडानी पोर्ट्स ने अनजाने में खेल को अंतिम रूप देने से पहले प्रकट कर दिया? क्या एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से उस दिशा को इंगित नहीं करता है जिसमें आईओसी को आगे बढ़ाया जा रहा है?”

IOC भारत का सबसे बड़ा रिफाइनर और ईंधन खुदरा विक्रेता है और सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े और सबसे अधिक लाभदायक उपक्रमों में से एक है। उसने स्पष्ट किया कि तेल कंपनियां एलपीजी आयात टर्मिनलों को किराए पर लेने के लिए टेंडर आमंत्रित नहीं करती हैं। इसके बजाय उनके मूल्यांकन के आधार पर निर्णय लेती हैं।

IOC ने कहा, “आईओसी देश के कोने-कोने में एलपीजी की आपूर्ति की क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित आधार पर विभिन्न बंदरगाहों के साथ करार करती है।” IOC ने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि यह सरकार के स्वामित्व वाले विशाखापत्तनम बंदरगाह से व्यवसाय से दूर हट रही है। IOC ने कहा कि कंपनी वर्तमान में उस बंदरगाह के माध्यम से लगभग 0.7 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) एलपीजी का आयात करती है और बंदरगाह का उपयोग जारी रहेगा।

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