NEET को लेकर तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

NEET Exam: तमिलनाडु सरकार ने देशभर के कॉलेजों में मेडिकल पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राज्य सरकार का आरोप है कि सिंगल विंडो कॉमन टेस्ट फेडरलिज्म का उल्लंघन है। राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। इसमें आरोप लगाया गया कि संविधान की मूल संरचना के हिस्से फेडरलिज्म का नीट जैसी परीक्षाओं द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि यह राज्यों की शिक्षा के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति को छीन लेता है।

बता दें कि नीट एमबीबीएस और बीडीएस जैसे स्नातक चिकित्सा पाठयक्रमों के साथ सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए एक प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा है।
राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह फेडरलिज्म का उल्लंघन है क्योंकि यह मेडिकल कॉलेजों में सरकारी सीटों पर छात्रों को प्रवेश देने के लिए राज्यों की शक्ति को छीन लेता है। कहा गया कि एनईईटी सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित है और यह अप्रत्यक्ष रूप से तमिलनाडु राज्य के स्कूलों के छात्रों को सीबीएसई/एनसीईआरटी बोर्ड चुनने के लिए मजबूर कर रहा है, जो संघीय ढांचे का उल्लंघन है। आगे कहा गया कि NEET ने तमिलनाडु के छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। ग्रामीण क्षेत्रों और राज्य बोर्ड के स्कूलों के छात्र परीक्षा में विशेष रूप से पिछड़े हुए हैं इसलिए नीट को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए चुनौती दी जाती है।
राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह फेडरलिज्म का उल्लंघन है क्योंकि यह मेडिकल कॉलेजों में सरकारी सीटों पर छात्रों को प्रवेश देने के लिए राज्यों की शक्ति को छीन लेता है। कहा गया कि एनईईटी सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित है और यह अप्रत्यक्ष रूप से तमिलनाडु राज्य के स्कूलों के छात्रों को सीबीएसई/एनसीईआरटी बोर्ड चुनने के लिए मजबूर कर रहा है, जो संघीय ढांचे का उल्लंघन है। आगे कहा गया कि NEET ने तमिलनाडु के छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। ग्रामीण क्षेत्रों और राज्य बोर्ड के स्कूलों के छात्र परीक्षा में विशेष रूप से पिछड़े हुए हैं इसलिए नीट को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए चुनौती दी जाती है।

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