पीएम मोदी के 9 बड़े फैसले जिन्होंने देश में बदल दी चुनाव की रणनीति

26 मई को मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो गए. साल 2014 में बीजेपी पहली बारी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. इस ऐतिहासिक जीत के बाद नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने. 2019 में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में वापस आई. इस बार पहले की तुलना में और ज्यादा सीटें मिली. नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश की बागडोर संभाली.

इस तरह मोदी सरकार ने अपने 9 साल पूरे किए. इन 9 साल में देश में कई तरह के बदलाव हुए. चुनाव के लिहाज से अगर बात करें तो मोदी सरकार ने देश में चुनाव की रणनीति ही बदल दी. इसके लिए उन्होंने कई बड़े फैसले लिए. आज इस खबर में हम पीएम मोदी के उन्हीं 9 फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने देश की चुनावी रणनीति पूरी तरह बदल दी.

  • चुनावी रणनीति बदलने वाले PM मोदी के 9 बड़े फैसले
  • डिजिटल कैंपेनिंग पर जोर (Emphasis on Digital Campaigning): मोदी सरकार ने डिजिटल कैंपेनिंग पर ज्यादा जोर दिया. मोदी सरकार ने चुनावी प्रचार के लिए रोड शो, जनसभाओं के अलावा डिजिटल मीडिया को सबसे बड़ा हथियार बनाया. सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप और डिजिटल आउटरीच कार्यक्रमों के जरिए बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार किया.
  • सदस्यता अभियान का विस्तार (Expansion of BJP Membership Drive): मोदी सरकार शुरुआती साल से ही अपनी सरकार व पार्टी के प्रति काफी सचेत रही. उसने लोगों को जोड़ने के लिए दम भर काम किया. इसके लिए उसने बीजेपी सदस्यता अभियान चलाया और लाखों करोड़ों लोगों को अपने साथ जोड़ा. मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पार्टी के जमीनी स्तर के संगठन और चुनाव तंत्र को मजबूत करते हुए अपने मेंबरशिप का विस्तार किया.
  • ब्रांड मोदी को प्रमोट किया (Promoting Brand Modi): बीजेपी ने प्रधानमंत्री को एक ब्रांड के रूप में प्रमोत किया. वोटरों को लुभाने के लिए पीएम मोदी से ज्यादा से ज्यादा प्रचार कराया गया, रैलियां करवाई गईं, जिससे मतदाता पीएम मोदी से अट्रैक्ट हो सके. सरकारी की नीतियों और उपलब्धियों को बताने के लिए पीएम मोदी के करिश्मे का रणनीतिक इस्तेमाल किया गया और इसका नतीजा पार्टी को भरपूर मिला. पीएम मोदी की एक रैली से स्थितियां काफी बदल जाती थी. ऐसा पिछले 8 वर्षों तक चला. बीजेपी ने मोदी के व्यक्तिगत ब्रांड को खूब भुनाया.
  • विकास के एजेंडे पर फोकस (Focus on Development Agenda): मोदी सरकार ने मतदाताओं को लुभाने के लिए डेवलपमेंट ओरिएंटेड कैंपेन, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, इकॉनमिक ग्रोथ और कल्याणकारी योजनाओं पर काम किया और इसी के सहारे उसने मतदाताओं को अपने पक्ष में किया.
  • जनता से सीधा संवाद (Direct Communication with Citizens): जनता से सीधा संवाद मोदी सरकार की सबसे चुनावी रणनीति रही. प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए लाखों को अपनी तरफ खींचा. इसके सहारे उन्होंने जनता को सराकारी योजनाओं और उसकी उपलब्धियों से अवगत कराया. इसके अलावा गांव व सुदूर इलाकों में अच्छा काम करने वालों का बात करके हौसला भी बढ़ाया. मोदी सरकार की यह एक अवल तरह की रणनीति रही, जिसका जबरदस्त फायदा हुआ. मन की बात कार्यक्रम के इस महीने 100 एपिसोड होने वाले हैं.
  • डिमोनेटाइजेशन (Demonetization): काला धन, भ्रष्टाचार और नकली करेंसी पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी की. 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे से अचानक से पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया. इसके बाद से 500 और 1000 के पुराने नोट बंद हो गए. पूरे देश में हाहाकार मच गया. इसको लेकर मोदी सरकार ने जमकर आलोचना भी हुई. मगर इसका आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा असर पड़ा. नोटबंदी ने चुनाव अभियानों में अहम भूमिका निभाई.
  • इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम (Electoral Bond Scheme): मोदी सरकार ने साल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की थी. इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम एक ऐसा स्कीम है जो बैंकिंग चैनल के माध्यम से पॉलिटिकल डोनेशन देती है. इसका मकसद भारत में चुनावी फंडिंग में ट्रांसपैरेंसी लाना है. इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ एक रजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टी के अकाउंट में भुनाए जा सकते हैं.
  • आर्टिकल 370 का हटना (Abrogation of Article 370): मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया था. पिछले कई वर्षों से धारा-370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने की बात चल रही थी पर कांग्रेस सरकार इसे नहीं कर पाई. सत्ता में आने के पांच साल बाद ही मोदी सरकार ने इस धारा को हटाकर बड़ा काम किया. यह एक बड़ा निर्णय साबित हुआ. इसके बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव देखे गए. इसका चुनाव पर काफी बड़ा असर पड़ा. हर चुनावी भाषण इसका जिक्र जरूर आता था.
  • उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana): मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत साल 2016 में की थी. इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है. इसे महिला सशक्तिकरण और स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के उदाहरण के रूप में रेखांकित किया गया है.

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