सुरक्षा एजेंसियों का मास्टर प्लान, वो मीटिंग जिसके बाद तय हुआ अमृतपाल सिंह को भागने दो!

18 मार्च से फरारी काट रहा नौटंकीबाज और खुद को खालिस्तानियों का खैर-ख्वाह बताने वाला दहशतगर्द अमृतपाल सिंह गिरफ्तार हो चुका है. उसे डिब्रूगढ़ (असम) जेल में शिफ्ट किया गया है. अब उसकी गिरफ्तारी से पहले और बाद की तमाम इनसाइड स्टोरियां निकल कर बाहर आ रही हैं. देश की जांच व खुफिया एजेंसियों की मानें तो अमृतपाल सिंह की जैसी दुर्गति हिंदुस्तानी हुकूमत ने अपनी एजेंसियों के जरिए की है, वैसी दुर्दशा अब से पहले पंजाब में खालिस्तान आंदोलन और जगजीत सिंह चौहान (खालिस्तान समर्थक आतंकवादी) से लेकर, ऑपरेशन ब्लू स्टार में ढेर किए जा चुके भिंडरावाला तक की शायद नहीं हुई होगी. ऐसा क्यों और कैसे?

इन्हीं तमाम सवालों के जवाब पाने की उम्मीद में टीवी9 ने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व दबंग अधिकारी एन के सूद से कई दौर की विशेष बातचीत की. एन के सूद 38-40 साल की रॉ की नौकरी के दौरान लंदन में तीन साल तक डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर तैनात रह चुके हैं. इसके अलावा भारत में ही रहकर वे नेपाल, पाकिस्तान, कनाडा, ईरान, इराक, यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों की डेस्क पर भी ‘रॉ’ में ड्यूटी कर चुके हैं. आखिर इतने दिन भागने के बाद भी अंतत: अमृतपाल सिंह इतनी आसानी से कैसे, भारतीय एजेंसियों के पल्ले में आ गया?

अमृतपाल को छिपने के लिए कहीं ठिकाना नहीं मिल रहा था
इसके जवाब में एन के सूद ने कहा, “आसानी रही होगी हमारी हुकूमत और हमारी जांच व खुफिया एजेंसियों को. सच पूछो तो असली मुसीबत में तो अमृतपाल फरारी के बाद से ही फंसा रहा. उसे छिपने के लिए कहीं बिल नहीं मिल रहा था. वो जिधर भागता उसे उधर ही रॉ, आईबी और पंजाब पुलिस या फिर बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) खड़ी मिल जाती. दरअसल अमृतपाल को तैयार करके पंजाब में कुदाने वालों ने कल्पना भी नहीं की होगी, कि अमृतपाल का यह हाल हिंदुस्तानी एजेंसियां मिल-जुलकर करेंगी.”

जिस अमृतपाल ने चंद घंटों में ही पंजाब की सर-जमीं पर हंगामा बरपा कर, हिंदुस्तानी एजेंसियों की सांस फुला दी और उनके अफसरान के हलक सुखा दिए, वो दहशतगर्द अमृतपाल सिंह रात के अंधेरे में इतनी आसानी से कैसे हाथ आ लिया? पूछने पर एन के सूद कहते हैं, “मैं तो आपसे (टीवी9) बहुत पहले से ही जिक्र करता आ रहा था कि हमारी हुकूमत के इशारे पर हमारी एजेंसियां इस खुराफाती दिमाग अमृतपाल का खामोश रहकर ही वो हाल कर देंगी, जो यह न जीने में रहेगा न मरने में.

गर्दन झुकाए खामोशी के गिरफ्तारी दे गया अमृतपाल
आज देख लीजिए जो अमृतपाल देश और पंजाब की शांति के लिए कल तक खतरा सा लग रहा था. रविवार को अपनी गर्दन झुकाए हुए खामोशी के साथ अपनी गिरफ्तारी दे गया बिना किसी न-नुकूर के. दरअसल इसकी (अमृतपाल सिंह) तमन्ना तो भिंडरावाला बनकर, आज खालिस्तान समर्थकों का सबसे बड़ा नेता बनने की थी. मगर पासा उल्टा पड़ गया एक उस मीटिंग से जो दिल्ली में रातों रात होने की उम्मीद मुझे हमेशा से रही थी.”

आप किस मीटिंग का जिक्र कर रहे हैं कुछ खुल कर बता सकते हैं तो बताएं बशर्ते, देश की सुरक्षा को अगर आपके बोलने से कोई खतरा पैदा न हो रहा हो? टीवी9 के इतना कहने पर एन के सूद बोले, “जिस रात इसने (अमृतपाल सिंह) पंजाब में अपने समर्थकों के साथ हुड़दंग मचाना शुरु किया. तभी हमारी खुफिया एजेंसियों ने इसके और इसके पीछे मौजूद इसके आकाओं के इरादे भांप लिए थे कि, हो या न हो किसी भी तरह से अमृतपाल सिंह खुद को हीरो या शहीद बनाने के चक्कर में पंजाब में बड़ा खूनी बबाल कराने के इरादे से उतारा गया है.

बस फिर क्या था..पंजाब पुलिस जब तक अमृतपाल और उसके समर्थन में उमड़े जन-सैलाब को काबू करने में जुटी रही. तब तक दूसरी ओर दिल्ली में खुफिया एजेंसी, केंद्रीय जांच एजेंसियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से जुड़ी टीमों ने आपात बैठक बुला ली होगी. यह तय है. क्योंकि इस तरह की आपात बैठकों का मुझे काफी अनुभव रहा है. दौरान-ए-रॉ की नौकरी.”

अमृतपाल सिंह को काबू कैसे कर लिया गया?
दिल्ली में आयोजित उस आपात-बैठक में भला पंजाब में खड़े होकर खून-खराबा करने पर उतारू, बेकाबू अमृतपाल सिंह को काबू कैसे कर लिया गया? पूछने पर पूर्व रॉ अधिकारी ने कहा, “यह सबकी समझ में नहीं आएगा. यह सिर्फ हमारे जैसा ही कोई वो अनुभवी आदमी ताड़ सकता है जिसने आईबी या रॉ में काम किया हो. दरअसल, अमृतपाल और उसके समर्थकों का रूख भांपते ही, अंदर की खबरें जैसे ही दिल्ली पहुंची होगी.

तो उसके बाद दिल्ली में बुलाई गई आपात बैठक में ही यह तय हुआ होगा कि, अगर जो हालात पंजाब में अभी (जिस रात पंजाब में अमृतपाल और उसके समर्थकों ने सड़क पर उतर कर खराब कर दिए थे) अमृतपाल और उसके साथ मौजूद भीड़ पैदा कर रही है. अगर ऐसे गरम माहौल में अमृतपाल सिंह को काबू करने के लिए उसके ऊपर हाथ डाला गया तो, भारत को वो उल्टा फंसवा सकता है. अपने समर्थकों की भीड़ के साथ पुलिस और भारतीय एजेंसियों से आमने-सामने दो दो हाथ करके.”

बिना किसी शोर शराबे के अमृतपाल निपट गया
पूर्व रॉ अधिकारी आगे बोले, “खुफिया विभाग की नौकरी के अनुभव से मैं कह रहा हूं, हो सकता है कि मैं गलत भी साबित हो जाऊं, मगर अब गलत साबित हो ही नहीं सकता हूं जब, अमृतपाल को ठीक उसी तरह से शांति से दौड़ा दौड़ाकर थकाने के बाद, घेरकर जेल में डाल दिया गया है, जैसा कि मैं अमृतपाल की फरारी के तत्काल बाद से ही टीवी9 से साझा करता रहा हूं. मैं जानता था कि जब पंजाब पुलिस अमृतपाल और उसके समर्थकों से सड़क पर जूझ रही थी तब हमारी इंटेलीजेंस एजेंसीज चार कान चार आंख किए हुए, कहीं ज्यादा अंदर की जानकारियां टटोलने में लगी होंगी.

मुझे पूरी पूरी उम्मीद है कि पंजाब पुलिस अंदर की जानकारी न होने के चलते धोखा खा सकती थी. मगर हमारी खुफिया एजेंसियों ने जैसे ही अमृतपाल और उसके समर्थकों की खूनी मंशा, केंद्रीय हुक्मरानों से दिल्ली में शेयर की होगी. वैसे ही खेल का पूरा पासा ही पलट गया. आज उसी का नतीजा सबके सामने है कि, अमृतपाल निपट भी गया. और जमानें में कहीं न शोर हुआ न कोई खून-खराबा.”

अपनी बात जारी रखते हुए एन के सूद आगे कहते हैं कि, “जैसे ही खुफिया एजेंसियों से भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग, केंद्रीय गृह मंत्रालय को भनक लगी कि, गरम माहौल में अमृतपाल सिंह को घेरने की कोशिश में पंजाब में अशांत पैदा हो सकती है, जिसके लिए तैयार करके ही अमृतपाल सिंह को मैदान में उतारा गया था.

लिहाजा अमृतपाल की गिनती खालिस्तान समर्थक हीरो या शहीद की न बनने देने का निर्णय दिल्ली की ही उस बैठक में शर्तिया लिया गया हो, जो पंजाब में रात के वक्त अमृतपाल सिंह द्वारा शुरु किे गए बबाल के तत्काल बाद बुलाई गई होगी. उस बैठक में ही तय हुआ होगा कि, अब अमृतपाल सिंह को खामोशी के साथ वो मार देंगे, जिसकी आवाज तो नहीं आएगी. मगर चोट अमृतपाल सिंह और उसके पीछे खड़े देशों को सीधे जाकर लगेगी.

जो कहा वहीं हुआ
इसी इरादे से तय हुआ होगा कि देश की खुफिया एजेंसियां अमृतपाल सिंह पर पैनी खुफिया नजर रखेंगी. मगर किसी भी राज्य की पुलिस अमृतपाल सिंह की फरारी के दौरान उसे छुएगी नहीं. तब तक जब तक दिल्ली से हरी झंडी सही वक्त की न मिल जाए! उसी मीटिंग में तय कर दिया गया होगा कि अब, अमृतपाल को जब घेरना नहीं है. तो फिर उसे इस कदर बेतहाशा दौड़ाना शुरु करो कि, वह खुद ही पनाह मांग जाए. दौड़ते-दौड़ते वो थक-हारकर खुद ही हिंदुस्तानी एजेंसियों के पांवो में आकर गिर जाए कि, अब मुझे (अमृतपाल सिंह) गिरफ्तार करके मेरी इज्जत बचा दो. देख लीजिए रविवार को वही सब हुआ जो हिंदुस्तानी हुकूमत और खुफिया एजेंसियों ने चाहा था. और मैंने जो कुछ पहले ही टीवी9 के साथ साझा कर दिया था.”

देश की सुरक्षा सर्वोपरि
अगर जैसा आप बता रहे हैं कि दिल्ली और देश की खुफिया एजेंसियों की साझा सफल रणनीति ने, अमृतपाल को खामोशी के साथ हरा डाला है. तो फिर जैसे पाकिस्तान में हुई भारतीय फौज की स्ट्राइक का खुलासा हुकूमत ने बाद में जोरशोर से किया था. वैसे ही अब अमृतपाल को लेकर भी तो करना चाहिए था कुछ? पूछने पर एन के सूद ने कहा, “इस तरह के या फिर हर ऐसे ऑपरेशन की हर बात साझा करना देश हित में नहीं होती है. यह सब इंटेलीजेंस एजेंसीज और देश की हुकूमत पर निर्भर करता है कि वो, क्या बात आम करना चाहती है और किस ऑपरेशन को गुप्त रखना चाहती है. क्योंकि सरकार के लिए किसी को सफाई देना उतना जरूरी नहीं होता है, जितनी सर्वोपरि देश की सुरक्षा होती है.”

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