प्राकृतिक आपदा में जहां लोगों दाने-दाने को मोहताज हो रहे थे और पैसों के लिए तरस रहे थे. ऐसे में एक परिवार ने महज चार महीनों में छह लाख लोगों को खाना खिलाया, जिसके लिए उन्होंने दो करोड़ रुपए खर्च कर दिए.
इस समय पूरा देश कोरोना वायरस की चपेट में है. इस महामारी के कारण लोगों की जिंदगी पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है. लाखों की जानें चली गई हैं, वहीं काफी संख्या में लोग बेरोजगार भी हो गए. इस प्राकृतिक आपदा में जहां लोगों दाने-दाने को मोहताज हो रहे थे और पैसों के लिए तरस रहे थे. ऐसे में एक परिवार ने महज चार महीनों में छह लाख लोगों को खाना खिलाया, जिसके लिए उन्होंने दो करोड़ रुपए खर्च कर दिए.
जानकारी के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के तेनाली में विष्णुभटला अंजनिया च्यानुलु नामक शख्स ने तकरीबन 27 साल पहले श्री चंद्रशेखर गुरु पादुका पीठम और श्री रामायण नवान्निका यज्ञ ट्रस्ट की स्थापना की थी. लेकिन, कोरोना काल में इस ट्रस्ट ने जो काम किया उसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया. विष्णुभटला ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने शुरुआत में तकरीबन 50 किलो भोजन लोगों के बीच बांटे. शुरुआत उन्होंने झुग्गियों से की. लेकिन, उनका मन शांत नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हम जितना भोजन बांट रहे थे, वह काफी नहीं था. लिहाजा, मैंने और मेरे भाई ने पहले इलाकों की छानबीन शुरू की. उन्होंने बताया कि सबसे पहले हमने 15 क्षेत्रों की पहचान की, जहां छह हजार लोगों पर रोजी-रोटी का संकट था.
‘छह लाख लोगों को खिलाया खाना’
विष्णुभटला अंजनिया आगे बता दें कि सबसे पहले हमें रसोइयों की तलाश थी. हमने उन रसोइयों की पहचान की, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपना काम खो दिया था. उन्हें काम चाहिए था और हमने पैसे देकर उन्हें हायर किया. इसके बाद उन 15 इलाकों में भोजान बांटना शुरू कर दिया, जिसकी पहचान की थी. विष्णुभटला ने आगे बताया कि हर दिन सौ किलो चावल और तकरीबन चार सौ किलो सब्जी के साथ-साथ सांभर बनाकर तकरीबन दस हजार लोगों में बांटने लगे. उन्होंने बताया कि 62 दिनों के अंदर एक लाख से ज्यादा रुपए केवल ट्रांसपोर्ट और टीम पर खर्च हुए. वहीं, 120 दिनों में करीब छह लाख लोगों को खाना खिलाया, जिन पर दो करोड़ रुपए के आस-पास खर्च हुए.