मुंंबई: महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने कई कड़े नियम और वीकेंड में लॉकडाउन का ऐलान किया है, लेकिन सरकार के इस ऐलान से मजदूर परेशान हैं. भिवंडी के पावरलूम में काम करने वाले मजदूर पिछले साल लॉकडाउन में हुए परेशानी को दोबारा नहीं दोहराना चाहते और कई लोग गांव जाने की तैयारी भी कर रहे हैं. पावरलूम मजदूर जीतलाल विश्वकर्मा कहते हैं, ‘यहां भूखा नहीं मरूंगा, जब तक चलेगा तो चलाऊंगा, नहीं चलेगा तो भूखा नहीं मरूंगा, गांव चला जाऊंगा, क्या करूंगा, और गांव में भी उतनी हैसियत नहीं है कि बैठकर खा सकते हैं. इस बार भी हमने कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो हम पहले से जाने की प्लान बना रहे हैं. गांववालों को बोला है कि तैयार रहो.’ वे कहते हैं, ‘पिछली बार मालिकों ने मदद की. अभी कोई मदद करने के लिए नहीं बोल रहा है.’
मुंबई से सटे भिवंडी इलाके के पॉवरलूम मिल में करीब साढ़े 6 लाख मजदूर काम करते हैं. पिछले साल हुए लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर मजदूरों ने पलायन किया था और इसलिए इस साल महाराष्ट्र में बढ़ते मामलों के बाद कठोर नियम और वीकेंड लॉकडाउन किये जाने के बाद कई मजदूर दोबारा पलायन करने पर विचार कर रहे हैं. खुद जीतलाल पिछले साल अपने परिवार के साथ ट्रक के ज़रिए गांव पहुंचे थे, इसके लिए उन्हें करीब 12 हज़ार रुपये खर्च करने पड़े थे. इस बार वापस नियम कड़े किये जाने के बाद वो अपने परिवार के साथ दोबारा गांव जाने की तैयारी कर रहे हैं..जीतलाल कहते हैं, ‘मेरा खुद का घर था लॉकडाउन के वजह से वह भी बेच दिया.कर्ज़ बढ़ गया था तो उसे बेचकर मैं किराए में रह रहा हूं.’
मिल में ही काम करने वाले इसरार अंसारी ने पिछले हफ्ते ही लॉकडाउन लगने के डर से लखनऊ का टिकट निकाल लिया और बुधवार को वो ट्रेन से अपने चार साथियों के साथ गांव जा रहे हैं. इसरार ने बताया है, ‘ यह सुनाई दे रहा है कि लॉकडाउन लगने वाला है तो जो कमज़ोर आदमी है वो डर के गांव जाएगा, क्योंकि यहां रोजी-रोटी बंद हो जाएगी. जब सेठ के पास काम होगा तभी तो वो हमें यहां रखेगा और जब कमाएंगे नहीं तो कौन खिलाएगा.’ भिवंडी में काम करने वाले लाखों मजदूर अपने परिवार से दूर रहते हैं और कई तो पॉवरलूम मिल में ही रहते हैं. अधिकांश लोग भीसी में खाना खाते हैं, जो एक तरह का छोटा ढाबा है. महीने भर दोपहर और रात के खाने का वे 1800 रुपये देते हैं, लेकिन अब शनिवार-रविवार को वीकेंड लॉकडाउन में यह भी बंद रहेगा. ऐसे में मजदूरों को नहीं पता कि वे कहां खाना खाएंगे. भीसी मालिक भी कह रहे हैं कि मजदूरों का पलायन बढ़ गया है. ढाबा मालिक कानेर अंसारी, ने बताया, ‘हमारे खाने वाले 120 आदमी थे. लॉकडाउन की वजह से अब खाने वाले केवल 60 बचे है. वो कह रहे हैं कि कहां खाएंगे. यह लोग कहां खाना खाएंगे, सरकार को इनके लिए कुछ व्यवस्था करनी चाहिए.’
महाराष्ट्र: लॉकडाउन के डर से पलायन कर रहे मजदूर, पावरलूम श्रमिक इसरार बोले, ‘जब कमाएंगे नहीं तो खिलाएगा कौन..’
पिछले साल लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में श्रमिक, गांव वापस लौटने को मजबूर हुए थे.