देश में किसानों की खुदकुशी एक गंभीर समस्या है। हमारे देश में कई अन्नदाता कर्ज की बोझ से संघर्ष करते-करते अपनी जिंदगी को समाप्त कर लेते हैं। किसानों को उम्मीद होती है कि सरकार उनकी मदद करेगी, लेकिन कभी-कभी नेता कितने असंवेदनशील होते हैं, उसकी एक बानगी हमारे सामने है।
कर्नाटक सरकार में गन्ना विकास मंत्री शिवानंद पाटिल (Karnataka Agricultural Marketing Minister Shivananada Patil) ने मंगलवार को एक ऐसा बयान दिया है, जिससे बवाल खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि जब से कर्नाटक सरकार ने मृतक किसानों के परिवार को मिलने वाला मुआवजा बढ़ा दिया है तब से राज्य में खुदकुशी करने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है। शिवानंद पाटिल के इस बयान पर किसान संगठन ने आपत्ति जाहिर की है। इसी के साथ किसान संगठन ने मंत्री के इस्तीफे की मांग भी कर डाली है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार के जरिए मृतक किसानों के परिवार को दिए जा रहे पांच लाख रुपये के मुआवजे पैकेज की वजह से राज्य में अधिक संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। हावेरी जिले में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि किसानों की आत्महत्या की रिपोर्टिंग से लोगों में दहशत पैदा हो रही है।
उन्होंने आगे कहा,”साल 2020 में 500 से अधिक किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। 2021 में 600 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। लेकिन, यदि आप एफआईआर पर विचार करते हैं, तो यह आपकी गलती है। किसान विभिन्न कारणों से आत्महत्या कर रहे हैं। यहां तक कि प्रेम मामलों के कारण भी मौतें हो रही हैं। इसे किसानों की आत्महत्या से जोड़ा जा रहा है।
मंत्री ने आगे कहा कि “अगर किसानों के साथ अन्याय हुआ तो मुआवजे में देरी नहीं होगी। विधायकों पर स्वाभाविक रूप से लोगों का दबाव होता है। गलत रिपोर्ट से दहशत फैल जाएगी। इस निष्कर्ष पर न पहुंचे कि किसान की मौत आत्महत्या का मामला है।
जिला किसान संघ के महासचिव मल्लिकार्जुन बल्लारी ने कहा कि संगठन उन्हें 50 लाख रुपये देगा और उन्हें आत्महत्या करने देगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाटिल जहां भी जाएंगे, संगठन उनका घेराव करेगा और विरोध प्रदर्शन करेगा।