Cataract Operation in Bihar: बिहार के मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 27 लोगों की आंखों में गंभीर संक्रमण हो गया, जिसके चलते 15 मरीजों की आंखें निकलनी पड़ी. घटना 22 नवंबर को शहर के जुरान छपरा इलाके के एक नेत्र अस्पताल में हुई. घटना के बाद अस्पताल को अब सील कर दिया गया है. वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जांच के आदेश दिए हैं.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मोतियाबिंद सर्जरी के बाद कथित तौर पर कुछ मरीजों की आंखें निकाले जाने संबंधी खबरों को लेकर बुधवार को बिहार सरकार को नोटिस भेजा. एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि उसने मीडिया में आई एक खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है कि 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर नेत्र अस्पताल में हुई मोतियाबिंद सर्जरी के बाद ‘श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में मरीजों की आंखें निकालनी पड़ीं.’ बयान में कहा गया है यदि मीडिया में आईं खबरें सही हैं तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है.
आयोग ने कहा, ‘चिकित्सा नियमों के अनुसार एक डॉक्टर अधिकतम 12 सर्जरी कर सकता है, लेकिन इस मामले में डॉक्टर ने 65 मरीजों की सर्जरी की. इस तरह चिकित्सा नियमों का उल्लंघन कर लापरवाह तरीके से आंखों की सर्जरी करना गंभीर चिंता का मामला है. आयोग ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
आंख में गंभीर संक्रमण से पीड़ित
शिवहर जिले के सोनवर्षा गांव के मूल निवासी और बाईं आंख में गंभीर संक्रमण से पीड़ित राम मूर्ति सिंह ने कहा, “हमें पता चला कि 22 नवंबर को अस्पताल द्वारा एक मेगा नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया था. मैं अस्पताल आया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि मुझे मोतियाबिंद है. उन्होंने एक आंख का ऑपरेशन किया. चार घंटे के बाद, मेरी आंख में दर्द होने लगा. जब मैंने डॉक्टरों से संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे दर्द निवारक गोली दी और एक इंजेक्शन भी दिया. दर्द निवारक इंजेक्शन ने मुझे अस्थायी राहत दी. कुछ घंटों के बाद, मेरी आंख में फिर से दर्द शुरू हो गया.”
मुजफ्फरपुर के मुशारी इलाके की निवासी मीना देवी ने कहा, “ऑपरेशन के बाद, मुझे अपनी आंख में बहुत दर्द हुआ. जब मैंने डॉक्टरों से संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे दर्द निवारक इंजेक्शन दिया. उन्होंने मुझे अगले दिन छुट्टी दे दी. जब मैं अगले दिन (24 नवंबर) अस्पताल गयी, तो डॉक्टर ने मुझे लापरवाही के लिए फटकार लगाई. जब मैंने विरोध किया, तो उन्होंने संक्रमित आंख को हटाने का सुझाव दिया. चूंकि मेरे परिवार में कोई नहीं है, इसलिए मैंने उन्हें आंख हटाने की अनुमति दी.”
राम मूर्ति शर्मा के एक रिश्तेदार हरेंद्र रजक ने कहा, “गंभीर संक्रमण वाले नौ मरीज जांच के लिए पटना गए थे. पटना के डॉक्टरों ने हमें बताया कि गंभीर संक्रमण गलत ऑपरेशन प्रक्रिया के कारण हुआ था. उन्होंने ऑपरेशन की गई आंख को हटाने का भी सुझाव दिया. अन्यथा यह दूसरी आंख या मस्तिष्क में और जटिलताएं पैदा कर देगा.”