Delhi-NCR Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. पिछले हफ्ते की सख्त सुनवाई के बाद केंद्र सरकार ने एक टास्क फोर्स समेत 40 उड़न दस्तों का गठन किया था जिस पर आज कोर्ट मामले में हुई कार्रवाई पर रिपोर्ट लेगा.
इसी के साथ अदालत आज दिल्ली और आस-पास के इलाकों से निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटाने पर भी विचार कर सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए गैर जरूरी निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने दी थी चेतावनी
बता दें, कोर्ट ने बीती सुनवाई में इस बात पर असंतोष जताया था कि एनसीआर में होने वाले प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार ने पिछले साल जो आयोग बनाया था, वह सफल नहीं हो पा रहा है. कोर्ट ने यह कहा था कि आयोग के पास अपने निर्देशों को लागू करवाने की कोई कानूनी शक्ति नहीं है. चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने यह संकेत दिया था कि वह अपनी तरफ से एक टास्क फोर्स का गठन करेगी. साथ ही साथ फ्लाइंग स्क्वाड यानी उड़न दस्ते भी बनाए जाएंगे. हालांकि कोर्ट की सुनवाई शुरू होने से पहले केंद्र ने नया हलफनामा दाखिल कर दिया.
दिल्ली सरकार पर भी रहा नरम रवैया
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी आड़े हाथों लिया था. कोर्ट ने यह कहा था कि दिल्ली सरकार प्रदूषण से लड़ने के गंभीर प्रयास नहीं कर रही है. उसका पूरा जोर सिर्फ अपने प्रचार पर है. कोर्ट ने दिल्ली में स्कूलों को खोले जाने पर भी सवाल खड़ा किया था. वहीं, दिल्ली सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जजों को यह बताया कि दिल्ली में स्कूल खोलने का निर्णय किस वजह से लिया गया है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “हमने मीडिया में देखा है कि हमें ऐसे खलनायक की तरह दिखाया जा रहा है, जो दिल्ली के बच्चों का स्कूल बंद करवा देना चाहता है. जबकि हमने ऐसा कुछ भी नहीं कहा. हम कोई राजनीतिक दल नहीं है कि प्रेस कांफ्रेंस करके सफाई दें.” सिंघवी ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि जजों ने स्कूल बंद करने का आदेश नहीं दिया था. सिर्फ सवाल पूछे थे.
दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में 27 अस्पतालों में कोविड से जुड़ी नई सुविधाओं का विकास किया जाना है. उनके निर्माण को रोकना जनहित में नहीं है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सिंघवी की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि कहा कि यह आवश्यक निर्माण है. सुनवाई के अंत में दिए आदेश में बेंच ने दिल्ली सरकार को अस्पतालों में निर्माण कार्य की अनुमति दे दी.