अगर पार्टी टिकट देगी तो फिर लडूंगा चुनाव ..राजेश नागर

हमारे सिटी आइकॉन के इस भाग में 2014 विधानसभा चुनाव में तिगांव क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रहे राजेश नागर से  साक्षात्कार हुआ . राजेश नागर आज भी अपने को बीजेपी का एक आम कार्यकर्ता समझते है.

आइये पहले एक नज़र डालते है राजेश नागर के राजनैतिक सफर पर :

राजेश नागर का जन्म फरीदाबाद के तिगांव में एक संपन्न परिवार में हुआ. बचपन से लोगों की मदद करना अपने परिवार से सीखा. राजेश नागर के दादा जी अंग्रेजो के जमाने में जिला मजिस्ट्रेट थे और पिताजी बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे थे. देश में आयी इमरजेंसी के वक़्त शहर के कई लोगों को जेल में डाल दिया गया, जिन परिवार के लोगों को जेल में डाला गया उस परिवार की मदद के लिए राजेश नागर का परिवार आगे आया और लोगों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की.

 

पूरा परिवार लम्बे समय से जनता पार्टी (जो अब बीजेपी बन चुकी है) से जुड़ा रहा है. राजेश नागर के पिता रूप सिंह नागर अपने राजनैतिक सफर में इस क्षेत्र के कार्यो में कई बड़े अहम् रोल अदा कर चुके हैं , आडवाणी की रथयात्रा के दौरान भी राजेश नागर और उनके पिता रूप सिंह नागर साथ में रहे थे.

 

2014 के तिगांव विधानसभा चुनाव में राजेश नागर कुछ ही मतों से कांग्रेस के उम्मीदवार ललित नागर से हारे थे..लेकिन आज तक राजेश नागर ने अपना जनाधार नहीं खोया.

  • राजेश नागर की आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर क्या तैयारी है?
  • क्या इस बार फिर से टिकट के लिए दावेदारी करेंगे ?
  • विपक्ष के लगते आरोप-प्रत्यारोपो पर क्या जवाब दिया? आइये जानते है राजेश नागर के जवाब:

सवाल: राजेश नागर जी आप राजनीति में कैसे आये?

पापा का रियल एस्टेट का कारोबार है मैं उनकी मदद करना चाहता था, लेकिन 2014 विधान सभा चुनाव के दौरान लोगों से मिले प्रेम की वजह से राजनीति में आया. मेरा बचपन से मन रहा है की मैं लोगों की मदद करूँ, यह भी एक वजह थी जिसके कारण मैं राजनीति में आया. मैं जनता की सेवा करना चाहता हूँ.

सवाल: आपके पिता रूप सिंह नागर को कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिना जाता था, फिर आपने कांग्रेस क्यों छोड़ी?

मेरा परिवार 1962 से ही आरएसएस से जुड़ा हुआ है, अवतार सिंह भड़ाना से हमारे पारिवारिक संबंध रहे हैं इसलिए हम अवतार सिंह भड़ाना की मदद के लिए कांग्रेस में गये थे. लेकिन कभी मन से कांग्रेस के साथ नही थे, हमारे परिवार का पूरा जीवन बीजेपी के साथ बीता है.

सवाल: आप पर अवतार सिंह भड़ाना की टीम का सदस्य होने का भी आरोप लगा था, मतलब अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस छोड़ी तो आपने भी कांग्रेस छोड़ दी?

आपसे पहले भी कहा है हम बस अवतार सिंह भड़ाना की मदद के लिए कांग्रेस में गये थे. वरना कांग्रेस में जाने का सवाल ही नही था.

सवाल: अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी की टिकट से उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव जीता, कहीं आप तो नहीं सोच रहे हैं फरीदाबाद से टिकट नहीं मिली तो किसी दूसरे राज्य से चुनाव लड़ेंगे?

किसी दूसरे राज्य से चुनाव लड़ने का कोई विचार नहीं है न आगे आएगा. मैंने जीवन भर अपने क्षेत्र की जनता की सेवा की है अगर पार्टी यहाँ से मुझे टिकट देगी तो चुनाव लडूंगा, अगर किसी और को टिकट देती है तो उसकी पूरी मदद करूँगा.

सवाल: आप पर आरोप हरियाणा के मंत्री विपुल गोयल की टीम का सदस्य होने का भी लग रहा है? इस बारे में आप क्या कहेंगे? 

ये लोगों की अपनी सोच है, हमारे कृष्ण पाल गुज्जर जी एक बड़े नेता है और हम उनकी छत्रछाया में ही चल रहे हैं. कृष्णपाल गुज्जर जी के बताये हुए रास्ते पर हम बहुत कुछ सीख रहे हैं. विपुल गोयल मेरे बचपन के मित्र हैं और एक ही स्कूल में साथ पढ़े हैं. इसलिए उनसे लगाव ज़्यादा है.

सवाल: 2014 विधान सभा चुनाव के दौरान आप कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे, बीजेपी में आते ही आपको विधान सभा की टिकट  मिली थी, जबकि पार्टी के किसी पुराने कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिली. उस समय लोगों के मन्न में सवाल था कि कही आपने टिकट खरीदी तो नहीं थी?

ये बिना आधार के आरोप बेबुनियाद है. जो भी लोग कहते है वो सरासर गलत है. पार्टी ने मुझे यहाँ से चुना और चुनाव लड़वाया. ऐसे आरोप प्रत्यारोप तो राजनीति में चलते रहते हैं.

सवाल: 2014 विधान सभा चुनाव में आप कांग्रेस के विधायक ललित नागर से हारे थे. इस हार के लिए आप किसको ज़िम्मेदार मानते हैं?

इस हार का ज़िम्मेदार मैं किसी को नहीं मानता हूँ, मैं तो यह कहूंगा की मेरी मेहनत, परिश्रम में कहीँ कमी रह गयी होगी जिसकी वजह से मुझे हार मिली. कांग्रेस के मौजूदा विधायक ललित नागर पहले 2009 चुनाव में कुछ वोटों से हारे थे, इसलिए उसके प्रति लोगों की सहानभूति भी एक कारण हो सकती है. मंत्री जी (कृष्णपाल गुज्जर) और देवेंद्र चौधरी ने बहुत मेहनत की.

सवाल: आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि इस बार भी आपको टिकट मिलनी चाहिए?

ये तो पार्टी हाईकमान के निर्णय है किसको टिकट दे किसको टिकट ना दे. लेकिन जब से मैं चुनाव हारा हूँ उस दिन से ही मैं अपने क्षेत्र मे और ज़्यादा मेहनत कर रहा हूँ. लोगों से मिलना जुलना ज़्यादा हो गया है. मेरा सम्पर्क अभियान उसी दिन से लगातार चलता आ रहा है. जनता का पूरा प्यार, समर्थन मुझे मिल रहा है. पार्टी जो भी मुझे ज़िम्मेदारी देगी उसी मैं पूरी तरह से निभाउंगा.

 

सवाल: अगर आपको टिकट मिलता है तो आपकी नज़र मे तिगांव विधान सभा क्षेत्र मे क्या कमी लग रही है जिसे आप पूरा करना चाहेंगे?

अभी सेहतपुर, तिलपत की तरफ कुछ कॉलोनी ऐसी है जहाँ सकड़ों की दिक्कत है, बिजली की समस्या है, उसे दूर करना मेरा उद्देश्य है. जब से प्रदेश मे हमारी सरकार आयी है सड़क की दिक्कत तो कम हो गयी है. थोड़ी बहुत जो रह गयी है उनको बनाया जायेगा.

मेरा एक उद्देश्य अहम् है मैं अपने क्षेत्र मे एक केंद्रीय विद्यालय बनवाना चाहता हूँ ताकि सभी गांव और शहर के बच्चे उसमे पढ़ सके. फरीदाबाद मे अभी तक एक ही केंद्रीय विद्यालय है. जिसमे सीट भी कम है.

 

तिगांव मे हज़ारो की संख्या मे लोग रहते हैं , मैं आने वाले समय मे तिगांव को नगर पालिका का रूप देना चाहता हूँ. जिससे विकास और हो सके, पंचायत की वजह से पैसे की कमी रहती है जिससे गांव का विकास नहीं हो पाता है. तिगांव को नगर पालिका मे बदल कर ज़्यादा से ज़्यादा विकास करना चाहता हूँ.

सवाल: आपके पिता रूप सिंह नागर का आपको सहयोग कितना मिल रहा है?

मेरे को राजनीती में लाने वाले मेरे पिता जी हैं , मेरे से ज़्यादा लोगों की बीच में रहते हैं उनका दुःख दर्द बांटते हैं. जब मुझे इस क्षेत्र से बीजेपी की टिकट पर लड़ाने का फैसला हुआ तो मैंने अपने पिताजी का नाम लिया था. लेकिन पार्टी युवा नेता को आगे लाना चाहती थी, आज अधिकतर सभाओं में मेरे पिता जी साथ में रहते हैं. उन्ही का आशीर्वाद है की मैं इस मुकाम पर हूँ.

सवाल: आप तिगांव विधान सभा की जनता को कुछ सन्देश देना चाहते हैं?

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