दिल्ली. कोई सोच भी नहीं सकता कि इतने फुलप्रूफ सिस्टम में भी फर्जीवाड़ा करने वाले लोग सेंध लगा लेंगे. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM Kisan samman nidhi Scheme) में अवैध तरीके से पैसा निकालने के मामले की जब जांच शुरू हुई तो अपात्र यानी फर्जी लोगों के आंकड़े को देखकर सरकार हैरान हो गई. तमिलनाडु में 5.95 लाख लाभार्थियों के अकाउंट की जांच की गई जिसमें से 5.38 लाख फर्जी निकले. अब संबंधित बैंकों के जरिए फर्जी लाभार्थियों के बैंक अकाउंट (Bank Account) में गई रकम को वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, ताकि यह पैसा केंद्र सरकार के अकाउंट में वापस आए और उसका सही जगह इस्तेमाल हो सके. अब तक 61 करोड़ रुपये वसूले गए हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि 96 कांट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं. अपात्र लाभार्थियों के रजिस्ट्रेशन के लिए जिम्मेदार पाए गए 34 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है. 3 ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों तथा 5 सहायक कृषि अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. ये लोग पासवर्ड के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार पाए गए थे. 13 जिलों में एफआईआर (FIR) दर्ज करके संविदा कर्मियों सहित 52 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र के साथ विचार-विमर्श करके एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार कर प्रणाली को सुदृढ़ करने का काम शुरू किया है. हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि असली किसान परिवारों की पहचान करने की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है.
कैसे रोका गया फर्जीवाड़ा?
पीएम मोदी की ड्रीम स्कीम में से फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये निकालने का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने जांच करवाई. इससे यह पता चला कि कुछ बेईमान लोगों ने स्कीम के तहत अपात्र व्यक्तियों की बड़ी संख्या में बुकिंग करने के लिए जिला अधिकारियों के लॉग-इन आईडी और पासवर्ड का दुरूपयोग किया था.
कृषि विभाग द्वारा रखे गए कांट्रैक्ट कर्मचारी भी इस गैरकानूनी कार्य में शामिल पाए गए थे. राज्य सरकार ने तत्काल जिला अधिकारियों के पासवर्ड को बदल दिया था. ब्लॉक स्तरीय पीएम-किसान खातों एवं जिला स्तरीय पीएम-किसान लॉग-इन आईडी को निष्क्रिय कर दिया गया. ताकि फर्जीवाड़ा रुक जाए.