दिल्ली-एनसीआर में हवा को साफ रखने के लिए ग्रेप (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान) लागू होने के बावजूद बृहस्पतिवार को दिल्ली समेत एनसीआर के सभी शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से ऊपर चला गया। मीडिया में चली एक खबर के मुताबिक ग्रेटर नोएडा देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। यहां वायु गुणवत्ता स्तर 357 दर्ज किया गया जो दिन में एक समय 400 पर भी था। मेरठ का एक्यूआई 359, तीसरे नंबर पर 335 एक्यूआई के साथ फरीदाबाद व 332 के साथ मुजफ्फरनगर चौथे स्थान पर रहा।
सीपीसीबी के मुताबिक स्थानीय प्रदूषकों के अलावा पराली के धुएं से दिल्ली की हवा बेहद खराब स्तर पर पहुंची। राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 312 दर्ज किया गया। इस सीजन में पहली बार प्रदूषकों में छह फीसदी हिस्सा पराली के धुएं रहा। सफर का आकलन है कि दिल्ली-एनसीआर का तापमान गिरने के साथ सतह पर चलने वाली हवा स्थिर है।
बृहस्पतिवार को दिल्ली पहुंचने वाली हवा की दिशा पछुआ थी। इससे पराली के धुएं का हिस्सा भी दिल्ली-एनसीआर में बढ़ गया है। अगले दो दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। शनिवार शाम हवा की चाल तेज होने से प्रदूषण स्तर में थोड़ा सुधार हो सकता है। बावजूद इसके यह खराब व बेहद खराब की सीमा रेखा पर ही रहेगा।
‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान लांच
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए नया अभियान लांच किया है। इसके तहत दिल्लीवालों से अपील की गई है कि वह रेड लाइट पर अपनी गाड़ी बंद रखें। इससे ईंधन की बचत होने के साथ प्रदूषण स्तर में कमी आएगी।
‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान लांच करते हुए केजरीवाल ने कहा कि ट्रैफिक सिग्नल पर रोज 10 लाख वाहन बंद होते हैं, तो एक साल में पीएम-10 करीब 1.5 टन और पीएम 2.5 करीब 0.4 टन कम उत्सर्जित होगा। ऑफिस आने-जाने में एक गाड़ी रोज औसतन 15 से 20 मिनट रेड सिग्नल पर रुकती है।
इस दौरान करीब 200 मिली लीटर तेल की खपत होती है। गाड़ी बंद रखने पर साल में 7000 रुपये की बचत भी हो सकती है। उन्होंने अपील की कि हम सभी रेड सिग्नल पर अपने वाहन बंद रखने का संकल्प लें, हर एक व्यक्ति का प्रयास प्रदूषण को कम करने में योगदान देगा।