पटना: केंद्र द्वारा संसद में ‘ केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों’ की गणना का प्रस्ताव होने सबंधी जानकारी देने के एक दिन बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उसी तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)की आबादी की भी गणना कराने की मांग की है. इस संबंध में जदयू के ससंदीय बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की ओर से बयान जारी किया गया. उन्होंने न्यायपालिका में भी आरक्षण की मांग की है.कुशवाहा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह जरूरी है कि ओबीसी की सही आबादी की जानकारी हो. यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसी राय रखी है. पूर्व में की गयी इस तरह की गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए. इसके साथ ही जातिगत आधार पर नियमित जनगणना की जानी चाहिए.”
कुशवाहा एक दिन पहले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय द्वारा एससी/एसटी की गणना संबंधी लोकसभा में दिये गये बयान पर पूछे सवालों का जवाब दे रहे थे. नीतीश कुमार के धुर विरोधी और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद भी इस मुद्दे पर जदयू के विचार से सहमत है. हालांकि, जदयू का इस मुद्दे पर रुख केंद्र और राज्य में सहयोगी भाजपा के साथ एक और वैचारिक मतभेद को इंगित करता है. भाजपा को बड़ी संख्या में अगड़ी जातियों का समर्थन मिलता हैकुशवाहा से जब मीडिया की उन खबरों के बारे में पूछा गया जिसमें कयास लगाए जा रहे हैं कि लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल सकते हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘ मैं नहीं मानता कि इससे बहुत कुछ फर्क पड़ेगा. वैसे भी, वह (तेजस्वी) कुछ समय से राजद का कार्य संभाल रहे हैं.” उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव तक कुशवाहा राजद नीत महागठबंधन में सहयोगी थे.
जदयू की 31 जुलाई को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने की पृष्ठभूमि में कुशवाहा को‘ बड़ी जिम्मेदारी’ देने के लग रहे कयासों के बारे भी उनसे पूछा गया. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अब भी छोटी जिम्मेदारी नहीं संभाल रहा हूं. मैं अपना सारा ध्यान जदयू को राज्य की राजनीति में संख्या बल के आधार पर शीर्ष पर लाने के लिए लगा रहा हूं.” कुशवाहा ने कुछ महीने पहले ही अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय जदयू में किया था.