नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद का मुद्दा उसकी प्राथमिकताओं में अहम होगा. भारत ने अपने अध्यक्षताकाल यानी अगस्त 2021 का एजेंडा कैलेंडर जारी करने के साथ कहा है कि आतंकवाद के हर पहलू पर ध्यान देना ज़रूरी है. इसीलिए इस संदर्भ में भारत एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित करेगा.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि और राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि आतंकवाई इन दिनों काफी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल हमलों को अंजाम देने के लिए कर रहे हैं. इसके अलावा आतंकवाद की आर्थिक रसद भी चिंता का विषय है. इसके अलावा अभी तक कई यूएन की फेहरिस्त में नामित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है.
इसलिए यह ज़रूरी है कि आतंकवाद के मुद्दे पर ध्यान बनाए रखा जाए. इस कड़ी में ध्यान देना होगा कि आईएसआईएस दुनिया के बड़े हिस्से में पहुंच चुका है. इस कड़ी में 19 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खिलाफ आतंकवादी खतरे पर एक विशेष ब्रीफिंग का आयोजन किया जाएगा जिसमें भारत के विदेशमंत्री शामिल होंगे.
9 अगस्त को समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर एक विशेष बैठक का आयोजन होगा
इससे पहले भारत की अगुवाई में 9 अगस्त को समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर एक विशेष बैठक का आयोजन किया जाएगा. इस बैठक की अध्यक्षता खुद पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे. इस बैठक में जहां समुद्री सुरक्षा से जुड़े अहम पहलुओं पर बात होगी. वहीं भारत की कोशिश इस बात की है कि समुद्री सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे के सहारे भी आतंकवाद का मामले पर ध्यान आकर्षित किया जा सके.
भारत ने सुरक्षा परिषद में अगस्त 2021 के लिए तय कामकाज में शांति सैनिकों की सुरक्षा और उनके लिए तकनीकी सुविधाओं का मुद्दा भी जोड़ा है. तिरुमूर्ति ने कहा कि दुनिया के तनावपूर्ण इलाकों में यूएन शांति सैनिकों की बड़ी भूमिका को पूरी तवज्जो देने की ज़रूरत है. उनका कहना था कि शांति सैनिकों को बेहतर टेक्नोलॉजी से लैस करने की ज़रूरत है ताकि वो अपने हमलावरों से निपट सकें. इसके लिए भारत 18 अगस्त को यूएन शांति सैनिकों से जुड़े मुद्दों पर एक विशेष बहस सत्र आयोजित कर रहा है. इस सत्र की अध्यक्षता भारत के विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर करेंगे.
अफगानिस्तान के हालात का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण होगा
इसके अलावा भारत की अध्यक्षता में काम कर रही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए अफगानिस्तान के हालात का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण होगा. हालांकि न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहा तिरुमूर्ति ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर चिंतित हैं, खासतौर पर जिस तरह हेरात में यूएन कार्यालय को निशाना बनाया गया. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी अफ़ग़ानिस्तान में शांति सेना भेजने जैसा कोई विचार परिषद के ध्यानार्थ नहीं है.
अफगानिस्तान का पड़ोसी और सुरक्षा परिषद अध्यक्ष के नाते भारत के कहा कि वो एक लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और समृद्ध अफगानिस्तान के हक में है. भारतीय राजदूत तिरुमूर्ति न कहा कि अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण की वैधता का एक अहम विषय है जिसमें किसी भी एक पक्ष की एकतरफा कार्रवाई से फैसला नहीं होना चाहिए.
कश्मीर मुद्दे पर सवालों का भारतीय राजदूत ने दिया करार जवाब
सुरक्षा परिषद के कामकाज का एजेंडा साझा करने पहुंचे भारतीय राजदूत को कश्मीर मुद्दे पर भी मीडिया के कुछ सवालों का सामना करना पड़ा. हालांकि राजदूत तिरुमूर्ति ने साफ किया कि सभी सुरक्षा परिषद सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई है कि मौजूदा एजेंडा में कश्मीर का मुद्दा शामिल नहीं है. साथ ही यूएन में भारत के शीर्ष राजनयिक तिरुमूर्ति ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.
इसको लेकर पाकिस्तान के साथ जो भी बातचीत होगी वो 1972 में हुए शिमला समझौते के आधार पर होगी जिसका उल्लेख यूएन महासचिव भी कर चुके हैं. महत्वपूर्ण है कि 1972 में हुए शिमला समझौते के बाद पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर समेत सभी लंबित विवादास्पद मुद्दों को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने पर रजामंदी दे चुका है.
भारत ने यूएन के मंच के भी स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत आतंकवाद राहत माहौल में हो सकती है. लिहाज इसके लिए उचित माहौल को तैयार करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है.