Drugs Syndicate in India: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने डार्क नेट के जरिए पैन इंडिया ड्रग्स सिंडिकेट का खुलासा किया है, जिसके तार विदेशों से भी जुड़े हैं. एनसीबी ने देश के अलग-अलग राज्यों में छापेमारी कर कुल 3 नेटवर्क का भांडाफोड़ करते हुए 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों में 4 महिलाएं भी शामिल हैं. ये पूरा ऑपरेशन 4 महीने तक चला. एनसीबी ने लगभग अलग-अलग किस्म की 1 दर्जन से ज्यादा ड्रग्स बरामद की हैं.
एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (नार्थ रीजन) ज्ञानेश्वर सिंह ने ड्रग ट्रैफिकिंग नेटवर्क पर लगातार निगरानी रखते हुए ड्रग्स के बड़े नेटवर्क का भांडाफोड़ किया. साइबर पेट्रोलिंग के दौरान सामने आया कि डार्क नेट का चलन काफी बढ़ा है. इसका अधिकतम इस्तेमाल ड्रग ट्रैफिकिंग में किया जा रहा है. इस ऑपरेशन के दौरान NCB ने पिछले 4 महीने के अंदर 22 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस ऑपरेशन की शुरुआत कोलकाता से हुई, जिसके बाद 3 बड़े नेटवर्क का भांडाफोड़ किया गया है.
सभी आरोपी युवा, मेडिकल, इंजीनियर, कंप्यूटर प्रोफेशनल हैं. एनसीबी का दावा है कि डार्क नेट पर चल रहे ड्रग्स के इस नेटवर्क के जरिए देशभर में कई छात्र/युवा प्रोफेशनल नशा हासिल कर रहे थे. स्टेशनरी और बेकरी आइटम में छिपा कर लगातार ड्रग्स की सप्लाई की जा रही थी. ज्ञानेश्वर सिंह के अनुसार ये सिंडिकेट अपने ग्राहकों को इंडियन पोस्ट और कूरियर के जरिए ड्रग्स की सप्लाई कर रहा था.
किताबों में छुपाई जाती थी ड्रग्स
ड्रग्स को किताबों के अंदर या बेकरी आइटम्स में छिपाकर उसकी होम डिलीवरी भी कराई गई. आरोपियों से एक दर्जन से ज्यादा अलग-अलग तरह के ड्रग्स मिले हैं. इतना ही नहीं ड्रग्स के पार्सल को ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की पैकिंग में पैक किया जाता था. पैकिंग इतनी अच्छी होती कि कोई भी ये अंदाजा नहीं लगा पाता था कि उसमें ड्रग्स हो सकती है.
अमेरिका, पोलैंड से मंगाई जा रही थी ड्रग्स
एनसीबी के अनुसार ये सिंडिकेट डार्कनेट के जरिये विदेशों जैसे अमेरिका, पोलैंड, यूएस आदि से नशे की खेप मंगाता था. ड्रग्स पार्सल के द्वारा इंडियन पोस्ट के जरिये भारत आती थी. डार्क नेट के जरिए इसकी खरीद-फरोख्त की जा रही थी. आरोपियों ने ड्रग्स के जरिए करोड़ों रुपयों की कमाई की है.
क्या है मोडस ओपेरेंडी
एनसीबी ने भारत मे सक्रिय जिन 3 डार्कनेट ड्रग नेटवर्क का भांडाफोड़ किया है, उनमें डीएनएम इंडिया, ड्रेड और द ओरिएंट एक्सप्रेस शामिल हैं. सिंडिकेट से जुड़े सभी लोग नकली नाम/वर्चुअल नाम से डार्कनेट पर प्रोफाइल बनाते थे. यहां सिर्फ क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल पेमेंट से ही खरीद-फरोख्त की जाती थी. क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल एक ही बार किया जाता था. हर डील में अलग क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल किया जाता था. सोशल मीडिया के माध्यम से ड्रग तस्कर अपने ग्राहकों के सम्पर्क में आते. वेरिफिकेशन के बाद ड्रग्स का आर्डर लेकर डार्क नेट के माध्यम से ड्रग डील की जाती थी.
एप्स से संपर्क में रहते थे आरोपी
एनसीबी के मुताबिक ड्रग्स के सप्लायर और खरीदार विकर, टेलीग्राम, टोर ब्राउजर, इंस्टाग्राम जैसे एप के जरिए एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते थे. डार्क नेट पर ही ये लोग ये भी बताते थे कि पुलिस और एनसीबी को कैसे धोखा दिया जा सकता है. डार्कनेट की काली दुनिया के माध्यम से चलाए जा रहे ड्रग्स के धंधे में बेईमानी की कोई जगह नहीं थी. यह सभी लोग पहले इस बात को पुख्ता कर लेते कि सामने वाला ईमानदार है या नहीं. एनसीआर, जयपुर, कोलकाता, सूरत, बेल्लारी जेल जैसी जगहों से ये नेटवर्क चल रहा था. गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, पंजाब, यूपी, राजस्थान आदि राज्यों से ड्रग्स बरामद की गई है.