उत्तराखंड और गोवा में चुनाव नतीजों के बाद अब मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर पेंच फंसा है. उत्तराखंड में तो बीजेपी की बंपर जीत के बावजूद सीएम पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट हार गए हैं, जिसके बाद अब राज्य में कुर्सी के कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं. वहीं गोवा में सीएम की कुर्सी के लिए बीजेपी विधायकों में ही जमकर खेमेबाजी शुरू हो गई है.
बीजेपी को जनादेश तो मिला लेकिन खटीमा से कार्यवाहक सीएम पुष्कर धामी को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में क्या उनको एक बार फिर मौका देगी बीजेपी या सीएम के रूप में नया चेहरा सामने आएगा. इस सवाल का जवाब होली के तुरंत बाद मिल सकता है जब बीजेपी के उत्तराखंड पर्यवेक्षक 19 मार्च को देहरादून जाएंगे. जहां विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी.
उत्तराखंड के सीएम की रेस में जो दावेदारी पेश कर रहे हैं उनमें सबसे आगे चल रहे हैं-
कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत
सतपाल महाराज (कई बार कैबिनेट मंत्री रहे)
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक
पूर्व सीएम भवन खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी
मसूरी से विधायक गणेश जोशी
इनके अलावा केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सासंद अनिल बलूनी भी रेस में हैं. हालांकि अभी किसी भी नेता ने अपने नाम की पुष्टि नहीं की है और सबका कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व और विधानमंडल दल मिलकर ही इस बात का फैसला करेंगे.
गोवा में भी सीएम कुर्सी पर सस्पेंस
सीएम कुर्सी पर सस्पेंस की कुछ ऐसी ही स्थिति गोवा में भी बनी हुई है. जहां 40 में से 20 सीट जीतने के बावजूद भी सीएम दावेदार का चेहरा अब तक साफ नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि पार्टी में अंदरूनी कलह के भी कयास लगाए जाने लगे हैं. दरअसल, गोवा में कुर्सी की लड़ाई के लिए बीजेपी के दो बड़े नेता सीएम प्रमोद सावंत और विश्वजीत राणे में खींचातानी शुरू हो चुकी है. विश्वजीत राणे ने तो प्रमोद सावंत को अपना नेता तक मानने से इंकार कर दिया है.
विश्वजीत राणे ने एक मराठी अखबार लोकमत में पूरे पेज का पोस्टर छपवाया और इस पोस्टर से प्रमोद सावंत का चेहरा ही गायब था. इससे पहले ऐसा ही कुछ पोस्टर उनकी विधायक पत्नी दिव्या राणे ने भी छपवाया था जिसमें प्रमोद सावंत की तस्वीर नहीं थी.
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सीएम प्रमोद सावंत की नींद उड़ा रखी है. इसका सबूत तब मिला जब उनसे प्रदेश के अगले सीएम के बारे में सवाल पूछा गया. प्रमोद सावंत सवाल से बचते हुए दिखे और अंग्रेजी में विधायकों की शपथ की बात करने लगे