कृषि कानून वापसी के बाद आज लखनऊ में किसानों का शक्ति प्रदर्शन, राकेश टिकैत होंगे शामिल

Kisan Mahapanchayat: तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र की घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने लखनऊ में आज किसान महापंचायत बुलाई है. लखनऊ के इकोगार्डंन (पुरानी जेल) बंगला बाजार में आयोजित की गई है, जो सुबह 10 बजे शुरु होगी. इसमें किसान नेता राकेश टिकैत, दर्शनपाल, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां सहित कई किसान नेता मौजूद रहेंगे.

चलो लखनऊ-चलो लखनऊ- राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत के लिए किसानों से आने की अपील की है. उन्होंने ‘चलो लखनऊ-चलो लखनऊ’ नारे के साथ रविवार को ट्वीट किया, ‘‘सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली और बनावटी हैं. इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है. कृषि एवं किसानों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा.’’

रविवार को टिकैत ने कहा कि रैली का सबसे बड़ा मुद्दा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी की गिरफ्तारी की मांग है. इसके अलावा कुछ अन्य मुद्दे हैं. वहीं एसकेएम आगे के कदमों पर फैसला करने के लिए 27 नवंबर को एक और बैठक करेगा, जबकि 29 नवंबर को किसानों का संसद तक निर्धारित मार्च तय कार्यक्रम के अनुरूप ही होगा.

रविवार को एक बैठक के बाद सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की. इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए. एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे. 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.

संसद तक ट्रैक्टर मार्च प्रस्तावित

प्रदर्शन कर रहे किसान संघों के मुख्य संगठन एसकेएम ने आगे के कदमों पर फैसला लेने के लिए रविवार सुबह बैठक की. इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा और आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च शामिल है. किसान नेता अपने इस रुख पर कायम हैं कि प्रदर्शनकारी दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में तब तक रहेंगे, जब तक कि केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार की आश्चर्यजनक घोषणा के बाद संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द नहीं करता और एमएसपी की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की उनकी अन्य मांगें नहीं मान ली जाती हैं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

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