‘भारत में 2014 के बाद हुआ देशभक्ति का उदय, इससे पहले लोग जानते तक नहीं थे’, शिवसेना ने कसा तंज

शिवसेना (shiv sena) ने किसानों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है.राउत ने देश के वर्तमान हालातों का जिक्र करते हुए आपाताकाल से तुलना की.

शिवसेना (shiv sena) ने किसानों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है. शिवसेना के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत (sanjay raut) ने पार्टी के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर हमला संजय राउत ने हमला बोलते हुए उन्होंने लिखा कि शासकों ने देशभक्ति की नई वैक्सीन लोगों को लगा दी है. फिलहाल देश में प्रचार का, विकास का, विचार का मुद्दा यही देशभक्ति बन गई है. देशभक्ति का उदय साल 2014 के बाद हुआ है. उससे पहले लोग जानते ही नहीं थे कि देशभक्ति क्या होती है.

मोदी सरकार पर कसा तंज

संजय राउत ने केंद्र की मोदी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा कि स्वतंत्रता संग्राम में जो शहीद हो गए, वे भी इस युग में देशभक्त नहीं होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की जय-जयकार कर रहे हैं, वही देशभक्त. ऐसा अब तय कर दिया गया है.

हिटलर, मुसोलिनी, स्टालिन की आलोचना करने वाले और उनके खिलाफ बोलनेवाले भी या तो देशभक्त नहीं थे या वे क्रांति के, देश के शत्रु ठहराए गए. दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के खिलाफ जारी किसानों के प्रदर्शन को लेकर भी शिवसेना के प्रवक्ता ने अपने लेख में सरकार पर हमला बोला.

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संजय राउत ने अपने लेख में आगे लिखा कि पंजाब की सीमा पर किसान ठंडी हवाओं के बीच भी खड़ा है. इस आंदोलन में अब तक 57 किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन दिल्ली में ऐसी सरकार है, जिसने संवेदना का एक शब्द तक नहीं बोला. ऐसी मानवता रहित सरकार किस ‘शाही’ की श्रेणी में आती है?

रतन टाटा का किया जिक्र, अंबानी और अडानी जैसी नहीं मिली प्रतिष्ठा

उन्होंने रतन टाटा का जिक्र करते हुए कहा कि एक टाटा हैं कि अपने बीमार पूर्व कर्मचारी का हाल जानने मुंबई से पुणे चले गए. हर पीढ़ी के टाटा भारत रत्न इसी जीवनशैली के कारण बने. यही कारण है कि टाटा जैसी प्रतिष्ठा अंबानी और अडानी को नहीं मिल सकी. हालांकि, ये टाटा भी मोदी की नीतियों के इस समय समर्थक हैं.

आपाताकाल से की आज की तुलना

संजय राउत ने देश के वर्तमान हालातों का जिक्र करते हुए आपाताकाल से तुलना की. उन्होंने लिखा कि दिल्ली की सीमा पर पिछले 45 दिन से किसान मर रहे हैं, लेकिन ये सरकार कानून में सुधार को तैयार नहीं है. राउत ने अपने लेख में कहा कि फिलहाल जो चल रहा है, इसकी तुलना आपातकाल से की जा सकती है.

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