वर्ष 1951 के बाद से देश में छह गुना बढ़े मतदाता

भारत में 1951 के बाद से मतदाताओं की कुल संख्या में लगभग छह गुना वृद्धि देखी गई है और इस वर्ष यह संख्या 94.50 करोड़ से अधिक हो गई है।

हालांकि इनमें से लगभग एक-तिहाई मतदाताओं ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। इस वजह से निर्वाचन आयोग अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर लाने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहा है।

वर्ष 1951 में, जब पहले आम चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार की गई थी, तब भारत में 17.32 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे और तब 45.67 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। पिछले कुछ वर्षों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई, और बाद के चुनावों में उनकी भागीदारी भी बढ़ी। वर्ष 1957 के आम चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 19.37 करोड़ थी और 47.74 फीसद ने मतदाताओं ने वोट डाला।

मतदान फीसद को 75 फीसद तक ले जाने की चर्चा के बीच निर्वाचन आयोग ने उन 30 करोड़ मतदाताओं के मुद्दे को उठाया, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान करने नहीं पहुंचे। इन 30 करोड़ मतदाताओं की श्रेणी में शहरी क्षेत्र के लोग, युवा और प्रवासी शामिल हैं। निर्वाचन आयोग ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात में हाल में हुए विधानसभा चुनावों में शहरी मतदाताओं की उदासीनता की ओर इशारा किया है। इस वर्ष कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग का लक्ष्य मतदान फीसद को बढ़ाना है।

वर्ष 1962 के आम चुनाव में पहली बार चुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी 50 फीसद से अधिक हो गई, जब 21.64 करोड़ मतदाताओं में से 55.42 फीसद ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। वर्ष 2009 तक, पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या 71.70 करोड़ हो गई थी, लेकिन मतदान फीसद केवल 58.21 फीसद था, जो 1962 के मुकाबले मतदान फीसद में मामूली वृद्धि थी।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 83.40 करोड़ थी और मतदान फीसद 66.44 तक बढ़ गया।वर्ष 2019 के आम चुनाव में 91.20 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे और 67.40 फीसद मतदाता मतदान केंद्रों पर वोट डालने पहुंचे थे। इस साल एक जनवरी को कुल मतदाताओं की संख्या 94,50,25,694 थी।

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