पहली बार ऐसा हुआ है कि देश के स्कूलों में पुरुष टीचर्स की तुलना में महिला शिक्षिकाओं की संख्या ज्यादा है. पिछले सप्ताह जारी यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन (यू-डीआईएसई) 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार पहली बार भारत में महिला स्कूली शिक्षकों ने अपने पुरुष समकक्षों को पीछे छोड़ दिया है. गौरतलब है कि देश के 96.8 लाख शिक्षकों में 49.2 लाख महिलाएं हैं.U-DISE रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा हर साल जारी की जाती है.
2013 के बाद से महिला शिक्षकों की संख्या में हुआ इजाफा
साल 2012-13 में 42.4 लाख पुरुषों के मुकाबले देश भर में 35.8 लाख महिला शिक्षक थीं. इस दौरान स्कूलों में सात वर्षों के दौरान 37% से अधिक महिला शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसी अवधि में पुरुष शिक्षकों की संख्या 42.4 लाख से बढ़कर 47.7 लाख हो गई.
हालांकि महिला शिक्षक केवल प्राइमरी लेवल पर ही टॉप पर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक हायर प्राइमरी के बाद की क्लासेस में पुरुष शिक्षकों की संख्या अधिक बनी हुई है. प्री-प्राइमरी लेवल पर 27,000 पुरुषों पर 1 लाख से अधिक महिला शिक्षक हैं.
प्राइमरी ग्रेड में रेश्यो ज्यादा संतुलित है
19.6 लाख महिलाओं और 15.7 लाख पुरुष शिक्षकों के साथ प्राइमरी ग्रेड में रेश्यो ज्यादा बैलेंस्ड है. हायर प्राइमरी क्लासेस में 11.5 लाख पुरुष और 10.6 लाख महिला शिक्षक हैं. इसके बाद की कक्षाओं में महिला और पुरुष शिक्षकों की संख्या में अंतर बढ़ता जाता है. सेकेंडरी स्कूलों में 6.3 लाख पुरुष और 5.2 लाख महिला शिक्षक हैं. वहीं हायर सेकेंडरी में 3.7 लाख पुरुष शिक्षक हैं जबकि 2.8 लाख महिला शिक्षक हैं.
सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में पुरुष शिक्षकों की संख्या ज्यादा
सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में पुरुष शिक्षकों की संख्या ज्यादा है जबकि गैर सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों में महिला शिक्षक आगे हैं. बड़े राज्यों में केरल, दिल्ली, मेघालय, पंजाब और तमिलनाडु के अपवाद के साथ, उच्च ग्रेड में महिलाओं से अधिक पुरुष शिक्षकों की संख्या है. इन राज्यों में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक कक्षाओं में पुरुषों की तुलना में महिला शिक्षकों की संख्या ज्यादा है ।