पटना : बिहार में जिन लोक नायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर छपरा में विश्वविद्यालय हैं, उसमें पिछले साल से जेपी, राममनोहर लोहिया, राजा राममोहन राय और बालगंगाधर तिलक के विचारों की पढ़ाई की जगह पंडित दीन दयाल उपाध्याय और सुभाष चंद्र बोस को सिलेबस में शामिल किया गया है. इस मामले के प्रकाश में आने के बाद अब राज्य सरकार डिफेंसिव मोड में है नीतीश सरकार ने कहा है कि जल्द ही पुराने सिलेबस को फिर से लागू किया जाएगा. मामले को लेकर बृहस्पतिवार को पटना स्थित सचिवालय में छपरा स्थित जेपी विश्वविद्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को शिक्षा विभाग के मंत्री ने तलब किया. राज्य सरकार ने इन अधिकारियों से इस बारे में विस्तार से पूछा कि आख़िर कैसे विश्वविद्यालय के पीजी के सिलेबस से जेपी , लोहिया की जगह दीनदयाल उपाध्याय और ज्योतिबा फुले को शामिल किया गया
इससे पहले स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफ़आई) के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति से मिलकर इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया था SFI नेता शैलेंद्र यादव ने कहा, ‘जयप्रकाश विश्वविद्यालय जो संपूर्ण क्रांति के नायक जेपी के नाम से हैं, को ही सिलेबस से हटाकर उनकी उपेक्षा की गई है.’ हालांकि कुलपति ने बैठक के बाद सफ़ाई दी कि ऐसा राज्यपाल के स्तर पर चयन आधारित (choice based) क्रेडिट सिस्टम के लागू होने के आधार पर हुआ. कुलपति फारूक अली (जेपी विश्वविद्यालय) कहते हैं, ‘जो syllabus अप्रूव था उसी को लागू किया गया.’ सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल ने इस मुद्दे पर एक सुर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से दोषियों के ख़िलाफ़ कारवाई की मांग की है
बिहार आरजेडी प्रमुख जगदानंद सिंह ने कहा, ‘इस पर किसी को ऐतराज नहीं हो सकता कि दीनदयालजी के विचार को सिलेबस में शामिल किया जाए. अच्छी बात है बहस कहां हो रही है लेकिन आपने जेपी को सिलबस से बाहर कर दिया ये हरकत गलत है.’ जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘ये बहुत ही आपत्तिजनक हैं क्यों हटाया गया VC जांच करें.’ राज्य सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने अब इस मसले पर सफ़ाई दी है।