प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई दी और कहा कि वह वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने तथा रोडमैप 2030 को लागू करने को लेकर उत्सुक हैं. पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ऋषि सुनक को हार्दिक बधाई! चूंकि आप ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, मैं वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने और रोडमैप 2030 को लागू करने के लिए उत्सुक हूं. ब्रिटिश भारतीयों के जीवंत सेतु को दिवाली की विशेष शुभकामनाएं. हमने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक साझेदारी में बदला है.
सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन इतिहास रचेंगे. ठीक दिवाली के दिन पेनी मॉर्डंट के दौड़ से हटने की घोषणा के बाद सुनक को कंजरवेटिव पार्टी का निर्विरोध नेता चुन लिया गया है. 42 वर्षीय पूर्व वित्त मंत्री सुनक को कंजरवेटिव पार्टी के 357 में से आधे से अधिक सांसदों का समर्थन मिला, जबकि उन्हें जीत के लिए कम से कम 100 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी.
सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री
सांसदों की प्रभावशाली समिति 1922 के प्रमुख सर ग्राहम ब्रैडी ने नाम वापस लेने के आखिरी दिन स्थानीय समयानुसार 2 बजे संसद परिसर में घोषणा की कि उन्हें केवल एक नामांकन मिला है, लिहाजा सुनक नेता बनने की दौड़ में विजयी रहे हैं. इसका मतलब है कि बकिंघम पैलेस में महाराजा चार्ल्स तृतीय से मुलाकात के बाद सुनक प्रधानमंत्री बनेंगे. आगे के कार्यक्रम की घोषणा जल्द की जाएगी. वह आधुनिक इतिहास में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री भी होंगे. वर्तमान रिकॉर्ड धारक डेविड कैमरन हैं, जो 42 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे.
विपक्ष ने भी दी सुनक को बधाई
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और शशि थरूर ने सुनक के प्रधानमंत्री चुने जाने का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि एक दिन भारत भी इस परंपरा को अपनाएगा. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सुनक के प्रधानमंत्री चुने जाने का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत के और सहिष्णु बनने की उम्मीद जताई. चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, पहले कमला हैरिस और अब ऋषि सुनक. अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगाया है और उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना है.
उन्होंने साथ ही यह भी कहा, मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाले दलों को एक सबक सीखना चाहिए. थरूर ने एक ट्वीट में कहा, अगर ऐसा होता है, तो मुझे लगता है कि हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि एक अल्पसंख्यक को सबसे शक्तिशाली पद पर आसीन कर ब्रिटेनवासियों ने दुनिया में बहुत दुर्लभ काम किया है. हम भारतीय सुनक की इस उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं तो आइए ईमानदारी से पूछें कि क्या यहां यह हो सकता है? मोइत्रा ने कहा, एक ब्रिटिश एशियाई को शीर्ष पद पर चुनने के लिए मुझे ब्रिटेन पर गर्व है, जो मेरा दूसरा पसंदीदा देश है. उन्होंने कहा, भारत अधिक सहिष्णु हो और सभी धर्मों, सभी पृष्ठभूमियों को अधिक स्वीकार करे.