माता पिता की मर्जी के बगैर एक बच्चे की किडनी निकालने के मामले के आरोपी डॉक्टर को दिल्ली की एक कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। खास बात है कि इस मामले में मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने पुलिस से FIR दर्ज करने को कहा था। लेकिन सेशन कोर्ट ने उसके फैसले को एक किनारे रख दिया।
एडिशनल सेशन जज धीरज मोर ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे कैसे हम एक डॉक्टर पर केस दर्ज कर सकते हैं। जबकि मजिस्ट्रेट ने फैसला देते वक्त इस मामले में न तो किसी स्पेस्टलिस्ट की राय ली और न ही डाक्टरों के किसी पैनल का गठन जांच के लिए किया गया है। उनका कहना था कि मजिस्ट्रेट कोर्ट का फैसला ठीक नहीं है। ऐसे मामले में किसी नतीजे तक पहुंचने के लिए एक्सपर्ट की राय ली जानी बेहद जरूरी है। मामला चिकित्सा से जुड़ा है और इसमें उस क्षेत्र के ही विशेषज्ञों से राय ली जानी बेहद जरूरी है। केवल किसी के आरोप पर केस दर्ज नहीं किया जा सकता।
नतीजे तक पहुंचने से पहले पांच निजी जांचों पर गौर किया
धीरज मोर ने इस नतीजे तक पहुंचने से पहले पांच निजी जांचों पर गौर किया। इनमें कहा गया था कि सरीन ने अपनी ड्यूटी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। स्वास्थ्य कल्याण विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में सरीन को आरोपी नहीं माना था। उधर डॉक्टर सरीन ने माना कि बच्चे की किडनी इस वजह से ठीक नहीं रह सकीं,क्योंकि कुछ नर्सों ने ड्यूटी ठीक से नहीं की थी। उनके खिलाफ एक्शन लिया गया है। सरीन का ये भी कहना था कि उसके खिलाफ केस दर्ज करने का जो आदेश दिया गया है वो सरासर गलत है। इसे खारिज किया जाना चाहिए।
ढाई साल के बच्चे के माता पिता ने की थी शिकायत
दिल्ली की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में लोकनायक अस्पताल के डॉक्टर वाईके सरीन के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। ढाई साल के बच्चे के माता पिता ने उनकी कोर्ट में शिकायत की थी कि डॉक्टर सरीन ने उनकी अनुमति के बगैर बच्चे की किडनी निकाल ली थी।