नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा, जिन्होंने हाल ही में कहा था कि उन्हें विदेश नीति के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और उन्हें ‘कुछ और सीखने की जरूरत’ है. विदेश मंत्री ने सरकार की चीन नीति को ‘रक्षात्मक’ बताने संबधी लगातार आलोचना के लिए भी कांग्रेस नेता को आड़े हाथ लिया. न्यूज एजेंसी एएनआई से राहुल गांधी ने कहा, “यदि मुझे चीन के बारे में कुछ बात करनी है तो इस धारणा (Narrative)पर जरा भी ध्यान मत दीजिए कि कहीं न कहीं सरकार (चीन मुद्दे पर) रक्षात्मक है…कहीं हम उदार हो रहे हैं. मैं लोगों से पूछता हूं कि क्या हम उदार हो रहे हैं जिसने भारतीय सेना को LAC पर भेजा. राहुल गांधी ने नहीं भेजा. “
उन्होंने कहा, “चीन सीमा पर आज हमारे इतिहास में यह शांतिकाल की सबसे बड़ी तैनाती है. हम बड़ी ‘कीमत’ पर वहां सैनिकों को रख रहे हैं. इस सरकार ने सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे के खर्च को पांच गुना बढ़ा दिया है. अब मुझे बताइए कि कौन है रक्षात्मक और उदार ? वास्तव में कौन सच बोल रहा है? कौन चीजों को सही ढंग से चित्रित कर रहा है? “विदेश नीति पर राहुल गांधी के कमेंट पर तंज कसते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अगर उनके पास चीन पर “बेहतर ज्ञान ” है तो वह कांग्रेस सांसद को सुनने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि उन्होंने यह बात कहीं एक सार्वजनिक बैठक में कही थी. यह संभवत: चीन के संदर्भ में है. मैं अपने ‘डिफेंस’ में केवल इतना कह सकता हूं कि मैं चीन में सबसे लंबे समय तक राजदूत रहा हूं. मैं लंबे समय से इन सीमा मुद्दों से कुछ निपट रहा हूं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं अनिवार्य रूप से सबसे जानकार व्यक्ति हूं, लेकिन वहां क्या है, इस बारे में मेरी समझ के बारे में मेरी काफी अच्छी राय होगी. यदि उनके (राहुल के) पास चीन पर बेहतर ज्ञान और ज्ञान है, तो मैं हमेशा सुनने के लिए तैयार हूं. मेरे लिए जीवन एक सीखने की प्रक्रिया है.”चीन द्वारा पिछले साल पैंगोंग झील पर पुल बनाने को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की नाराजगी का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह इलाका 1962 के युद्ध से ही चीन के अवैध कब्जे में है.
जयशंकर ने कहा, “वह इलाका वास्तव में चीनी नियंत्रण में कब आया? उन्हें (कांग्रेस को) ‘सी’ से शुरू होने वाले शब्दों को समझने में कुछ समस्या है. मुझे लगता है कि वे जानबूझकर स्थिति को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. चीनी पहली बार 1958 में वहां पहुंचे और अक्टूबर 1962 में इस पर कब्जा कर लिया. अब आप 2023 में एक पुल के लिए मोदी सरकार को दोष देने जा रहे हैं, जिस पर चीनियों ने 1962 में कब्जा किया था और आपमें यह कहने की ईमानदारी नहीं है.”