एयरहोस्टेस गीतिका सुसाइड केस; गोपाल कांडा पर हैं संगीन आरोप, 25 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

हरियाणा के हाई प्रोफाइल एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में दिल्ली की एवेन्यू कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई जिसमें फैसला टाल दिया गया है। अब अगली सुनवाई 25 जुलाई, 2023 को होगी। इस मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा और अरुणा चड्ढा आरोपित हैं।

दरअसल, साल 2012 के बहुचर्चित एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में आज फैसला सुनाया जाना था। यह 11 साल पुराना ऐसा मामला है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया था और उसी की वजह से आज तक गोपाल कांडा बदनाम हैं। जानते हैं क्या है पूरा मामला जिसके वजह से गोपाल कांडा का राजनीतिक करियर दांव पर लगा हुआ है।

दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने फ्लैट में 23 साल की गीतिका शर्मा ने 5 अगस्त, 2012 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। गीतिका शर्मा ने अपने घर में लगे पंखे में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। गीतिका एमडीएलआर एयरलाइंस की पूर्व डायरेक्टर थी। यह एयरलाइंस अब बंद हो चुकी है। उन्होंने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट लिखा था। जिसमें गोपाल कांडा का नाम था।

कांडा पर आरोप था कि उन्होंने एयरहोस्टेस गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाया। अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने कांडा पर शोषण करने और गलत इरादे से इस्तेमाल करने जैसे प्रमुख आरोप लगाए थे। अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने अपनी मौत के लिए एमडीएलआर की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी जिम्मेदार ठहराया। गीतिका के घरवालों ने भी इस खुदकुशी के लिए गोपाल गोयल कांडा को आरोपी ठहराया था।

गीतिका शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि गोपाल कांडा एक फ्रॉड है और हमेशा लड़कियों के प्रति गलत नजर रखता है। उसकी आदत लड़कियों को प्रताड़ित करने की है। वो हमेशा लड़कियों की ताक में रहता है। मैंने अपनी जिंदगी में उससे बेशर्म इंसान नहीं देखा। वो हमेशा झूठ बोलता है।

हवाई चप्पल बेचने से लेकर और रियल स्टेट में हाथ आजमाने वाले गोपाल कांडा ने साल 2008 में एयरलाइन कंपनी की शुरुआत की थी। जिसका नाम उन्होंने अपने पिता के नाम पर रखा था। इसी कंपनी में उन्होंने गीतिका को नौकरी पर रखा था। कांडा गीतिका पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहता था, इसलिए उसने गीतिका को कम समय में ही अपनी कंपनी का डायरेक्टर बना दिया।

28 अगस्त, 2008 को गीतिका को सीनियर केबिन क्रू प्रमोट किया गया। 31 मार्च, 2009 को उसे कोऑर्डिनेटर बना दिया गया। हालांकि, इस बीच गीतिका को बहुत कुछ सहना पड़ा था। 22 मई, 2010 को गीतिका ने कंपनी से रिजाइन दे दिया था और दुबई जाकर एमिरेट्स एयरलाइंस में नौकरी की थी। लेकिन, वहां भी गोपाल ने उन्हें जीने नहीं दिया था और उन्हें दुबई से वापस बुलाने और अपनी कंपनी में काम करने के लिए मजबूर कर दिया था।

23 साल की गीतिका ने 2011 में फिर एमडीएलआर एयरलाइंस को ज्वाइन किया था। गीतिका को दोबारा नौकरी पर रखते हुए कांडा ने गीतिका के सामने जो शर्ते रखीं वो होश उड़ाने वाली थी। पुलिस के मुताबिक इन शर्तो में एक शर्त यह भी थी कि गीतिका रोज शाम को काम खत्म करने के बाद गोपाल कांडा से मिलेगी। इन सबसे वह इतना अधिक प्रताड़ित हो चुकी थीं कि उन्होंने अंत में अपनी जीवन लीला को समाप्त करने का ही फैसला कर लिया। 05 अगस्त, 2012 को गीतिका ने सुसाइड कर लिया था।

पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने गोपाल कांडा और अरुण चड्ढा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। उन्होंने गीतिका की डायरी और मोबाइल को भी कब्जे में ले लिया। सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाई गई। जिसके बाद गोपाल कांडा को अपने पद से इस्तीफा सौंपना पड़ा था। कांडा को इस मामले में 18 महीनों तक जेल में रहना पड़ा था।

वहीं, मार्च 2014 में गोपाल कांडा को जमानत मिली, जो सहआरोपी अरुणा चड्ढा को हाई कोर्ट से मिली जमानत के आधार पर उन्हें मिली थी। वहीं, गीतिका की मौत के बाद उनकी मां इस सदमे से उबर नहीं पाई थी। करीब छह महीने बाद उनकी मां अनुराधा शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली थी। गीतिका शर्मा के आत्महत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने गोपाल कांडा के खिलाफ चार्जशीट में आईपीसी की धारा 376, 377 के तहत आरोप चार्जशीट दायर किया था। इसके अलावा उन पर आईपीसी की सेक्शन 120 बी, 201, 466 ,468 और 469 के तहत भी पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

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