हिंडनबर्ग-अडाणी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट कमेटी को लेकर विपक्ष में उभरे मतभेद

नई दिल्‍ली : हिंडनबर्ग रिपोर्ट और निवेशकों की सुरक्षा से जुड़े अन्य पहलुओं पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी गठित किए जाने के बाद अपनाई जाने वाली रणनीति को लेकर विपक्ष में तीखे मतभेद उभर आए हैं. अमेरिकी शार्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों से अडाणी ग्रुप के शेयरों के ‘लड़खड़ाने’ के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज छह सदस्‍यों की विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. सेवानिवृत्त जज अभय मनोहर सपरे की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में जाने-माने बैंकर केवी कामत तथा ओपी भट, इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि, सेवानिवृत्त जज जेपी देवधर तथा कमर्शियल कानूनों के विशेषज्ञ वकील सोमशेखरन सुंदरेसन शामिल होंगे

कांग्रेस और इसके सहयोगी कर रहे जेपीसी की मांग
बता दें, कांग्रेस और इसके सहयोगी मामले में संयुक्‍त संसदीय समिति (JPC) की मांग कर रहे हैं. वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता और इसके कम्‍युनिकेशन इंचार्ज जयराम रमेश ने कहा, “हम जेपीसी चाहते हैं और यह हमारी मांग है क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति समिति की सीमित भूमिका है. ” राहुल गांधी के इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अख्तियार करने के बाद से कांग्रेस JPC की मांग को लेकर अडिग है. डीएमके ने भी कांग्रेस की मांग का समर्थन किया है. उधर, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने कोर्ट के फैसले का स्‍वागत करते हुए कहा कि वह संयुक्‍त संसदीय समिति (JPC) पर जोर नहीं देगी. पार्टी ने कहा, “यह हमारी प्रमुख मांगों में से एक थी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेशित समिति इस पूरे मामले को देखे.”

उद्धव ठाकरे और AAP ने किया फैसले का स्‍वागत
टीएमसी इस मामले में अकेली नहीं है. महाराष्‍ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और दिल्‍ली में सत्‍तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत किया है जिससे कांग्रेस और इसके चंद सहयोगी अलगथलग पड़ते नजर आ रहे हैं. वाम दलों की बात करें तो वे “वेट एंड वॉच” के मोड में हैं. उनका कहना है कि वे देखेंगे कि कोर्ट की ओर से नियुक्‍त कमेटी किस तरह काम करती है? हालांकि उन्‍होंने कहा कि वे अभी भी जेपीसी को प्राथमिकता देंगे. बता दें, बजट सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात
गुरुवार को अपने फैसले में सीजेआई डीवाय चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कमेटी स्थिति का समग्र मूल्यांकन करेगी, निवेशकों को अधिक जागरूक बनाने के उपाय सुझाएगी, साथ ही शेयर बाजारों के लिए मौजूदा नियामक उपायों को मजबूत करने में मदद करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मार्केट नियामक SEBI को अपनी जांच दो माह के भीतर खत्म कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए. हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट में अरबपति गौतम अडाणी द्वारा नियंत्रित अडाणी ग्रुप पर अकाउंटिंग धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद से की ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई. इन आरोपों को खारिज करने वाले अडाणी ग्रुप में आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत किया है. गौतम अडाणी ने ट्वीट किया, “अडाणी ग्रुप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्‍वागत करता है. इससे चीजें समयबद्ध तरीके से अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगी. सच्‍चाई की जीत होगी.”

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