प्रियंका गांधी कांग्रेस में ले रही हैं फैसले, क्या पार्टी में और बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी कर रही हैं

कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जब पार्टी पदाधिकारियों की नई टीम की घोषणा करेंगे तब प्रियंका गांधी बड़ी भूमिका निभा सकती हैं. रायपुर (छत्तीसगढ़) में फरवरी के दूसरे पखवाड़े में होने वाले पार्टी के सत्र के बाद खरगे अपनी नई टीम की घोषणा कर सकते हैं. खरगे की अध्यक्षता की पुष्टि करने के लिए पूर्ण सत्र बुलाया गया है, जो कांग्रेस पार्टी के संविधान के तहत अनिवार्य है. प्रियंका गांधी को या तो पार्टी के उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है या राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर बनाए रखा जा सकता है. और उन्हें पार्टी में प्रत्यक्ष और बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के लिए संगठन का प्रभार दिया जा सकता है.

राहुल गांधी के वफादार केसी वेणुगोपाल अभी महासचिव (संगठन) के पद पर हैं, जिन्हें पार्टी में किसी अन्य भूमिका की पेशकश की जा सकती है. संभव है कि प्रियंका गांधी को उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव के अलावा कोई दूसरी जिम्मेदारी दी जाए. उन्हें यह भूमिका उनके बड़े भाई राहुल गांधी ने 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले दी थी. हालांकि, पार्टी 2019 के आम चुनावों और 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश में बुरी तरह विफल रही थी. इससे प्रियंका के नेतृत्व की क्षमता पर एक बड़ा सवालिया निशान लग गया था.

हालांकि, हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों ने उनकी प्रतिष्ठा लौटाई है. उन्होंने दूसरे वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं की गैरमौजूदगी में पार्टी के प्रचार का नेतृत्व किया. एक तरह से उनकी जिम्मेदारी में प्रस्तावित बदलाव केवल उस भूमिका को औपचारिक रूप देगा जो वह पहले से निभा रही हैं.

प्रियंका गांधी ले रहीं हैं सभी बड़े फैसले
सोनिया गांधी द्वारा पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने और राहुल गांधी के अपनी महत्वाकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने के बाद से प्रियंका सभी बड़े फैसले ले रही हैं. इसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री पद छोड़ने की अनिच्छा प्रदर्शित करने के बाद खरगे को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करने में अहम भूमिका निभाना शामिल है.

जब दिग्विजय सिंह ने अपना नामांकन भरने के लिए फॉर्म लिया था, तब प्रियंका ने सोनिया गांधी के साथ लंबी बैठक के बाद खरगे को अपना नामांकन दाखिल करने के लिए कहा था. ऐसा कहा जाता है कि वह दिग्विजय सिंह के पार्टी का नेतृत्व करने के विचार से सहज नहीं थीं, क्योंकि सिंह अक्सर अपने विवादास्पद बयानों से पार्टी को संकट में डाल चुके हैं.

यह भी बताया जा रहा है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री उनका डिप्टी बनाने में प्रियंका ने अहम भूमिका निभाई है, ताकि पार्टी में गुटबाजी को खत्म किया जा सके. 8 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के विजयी होने के 48 घंटों के भीतर सुक्खू को सरकार का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया. योजना के मुताबिक, सभी 40 नए विधायकों को कहा गया कि वे नेतृत्व के मुद्दे पर उलझे न और पार्टी आलाकमान को इस पर फैसला लेने दें.

राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने निर्णय लेने में समय लिया
पार्टी ने अगले ही दिन सुक्खू को मुख्यमंत्री और अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की और रविवार को दोनों ने शपथ ली. बीते सालों में पार्टी फौरी फैसला नहीं ले पा रही थी, जिसकी वजह से 2017 में उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. कांग्रेस गोवा और मणिपुर में त्रिशंकु विधानसभाओं में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों राज्यों में सरकारों का नेतृत्व करने पर तत्काल निर्णय नहीं ले सके थे. इसने बीजेपी को सरकार बनाने में सक्षम बनाया.

अगले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी यही अनिर्णय देखा गया. राहुल गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी ने मुख्यमंत्रियों के नाम तय करने में समय लिया. इसके कारण कलह हुई. उन्होंने युवा नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को टूटे दिलों के साथ छोड़ते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान में कमलनाथ और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया. टीएस सिंह देव को ढाई साल बाद पद देने का वादा करके एक रोटेशन योजना के तहत भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया गया.

सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी पिछले दरवाजे से मध्यप्रदेश की सत्ता में लौटी और अभी भी नेतृत्व के मुद्दे पर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी परेशानी का सामना कर रही है.

प्रियंका ने सुक्खू को सत्ता सौंपकर राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया
राज्य इकाई की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही नजारा था. प्रतिभा कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं. प्रियंका ने हिमाचल कांग्रेस की राजनीति को वीरभद्र के सिंह महल से बाहर निकालकर और सुक्खू को सत्ता सौंपकर राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया. अग्निहोत्री वीरभद्र सिंह परिवार के करीबी माने जाते हैं. साथ ही प्रतिभा सिंह के विधायक पुत्र विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा. कुछ ही समय में संभावित संघर्ष को शांत कर दिया गया.

भले ही अनुभवी नेता खरगे पार्टी प्रमुख बने रहेंगे, प्रियंका से उनके नाम पर सभी बड़े फैसले लेने की उम्मीद की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पार्टी अनिर्णय से बाहर आ सके. पार्टी में 24 वर्षों से इसकी कमी थी.

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