गहलोत-पायलट की लड़ाई में वफादार हुए बागी, पिछले 2 साल में इन नेताओं ने बदला पाला

कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चुनावी हलचल के बीच राजस्थान (Rajasthan) में सियासी पारा गरम है. सत्ता की कुर्सी के लिए अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच लंबे वक्त से जारी विवाद अब तक बरकरार है. साल 2018 में सचिन पायलट का साथ देने वाले और सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने वाले विधायक अब भी उसी खेमे में हैं. हालांकि राज्य में सियासी समीकरण में कुछ बदलाव जरूर नजर आए हैं. अशोक गहलोत का समर्थन कर रहे कुछ विधायक अब सचिन पायलट के खेमे में हैं.

राजस्थान में तीन विधायक- राजेंद्र सिंह गुढ़ा (Rajendra Singh Gudha), खिलाड़ी लाल बैरवा और गिरिराज सिंह मलिंगा, गहलोत के खेमे से सचिन पायलट के खेमे में चले गए हैं तो वहीं, दो मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा अब सीएम गहलोत के साथ हैं.

राजस्थान में वफादार हुए बागी!

राजस्थान में उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र गुढ़ा को गहलोत का कट्टर वफादार माना जाता था. साल 2018 में वो अपने साथ बीएसपी के पांच विधायकों को लेकर कांग्रेस में शामिल हुए थे और उस दौरान गहलोत को सरकार बनाने में मदद मिली थी. इसके बदले गुढ़ा को इनाम भी मिला था और वो कई विभागों के साथ राज्य मंत्री बने थे. 2020 के सियासी संकट में गुढ़ा समेत सभी 6 पूर्व बीएसपी विधायकों ने गहलोत का साथ दिया था.

खिलाड़ी लाल बैरवा भी गहलोत से खफा?

राजस्थान में सीएलपी बैठक से कुछ दिन पहले राजेंद्र गुढ़ा ने पायलट से उनके आवास पर मुलाकात की थी. वहीं राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा गहलोत सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने को लेकर लंबे वक्त से खफा चल रहे हैं. गहलोत का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए संभावितों में से एक के रूप में सामने आया था तो बैरवा पहले विधायक थे, जिन्होंने खुले तौर पर कहा था कि वो पायलट को सीएम के रूप में समर्थन करते हैं. सीएलपी की बैठक के बाद पूर्व सांसद बैरवा दिल्ली गए और दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस नेताओं से मिले थे. दिग्विजय अब अध्यक्ष पद के दावेदार के रूप में उभरे हैं.

गिरिराज सिंह मलिंगा भी पायलट के वफादार

पायलट के वफादारों की सूची में बारी विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा (Giriraj Singh Malinga) भी हैं. पिछले महीने वह उन विधायकों में शामिल थे जो पायलट को जन्मदिन की बधाई देने के लिए उनके आवास पर गए थे. हालांकि 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान मलिंगा ने आरोप लगाया था कि पायलट ने उन्हें बीजेपी में जाने के लिए 35 करोड़ रुपये की पेशकश की थी. पायलट ने इससे इनकार किया था और माफी की मांग करते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेजा था.

पायलट के कुछ समर्थक गहलोत खेमे में?

इस साल की शुरूआत में धौलपुर जिले में मलिंगा पर बिजली विभाग के एक कर्मचारी से मारपीट के आरोप लगे थे. इस घटना ने गहलोत सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर रोष पैदा किया था. बाद में उन्होंने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. उन्हें जल्द ही जमानत मिल तो गई थी, लेकिन तब से मलिंगा के सरकार के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. उन्होंने कहा था पार्टी के अंदर द्रोह करने वाले को दंडित किया जाना चाहिए और वह कांग्रेस आलाकमान के साथ थे. दूसरी तरफ डीग-कुम्हेर विधायक विश्वेंद्र सिंह और सपोटरा विधायक रमेश मीणा हैं, जो 2020 में पायलट के मुख्य समर्थकों में से हैं, जो अब गहलोत (Ashok Gehlot) खेमे में चले गए हैं.

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