ये पहली बार सितंबर और अक्टूबर में बाधित नहीं हुई कोयले की आपूर्ति, जानें क्या कहते हैं आंकड़े?

Coal Shortage in India: देशभर के विद्युत उत्पादन संयंत्रों में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट की आशंका जताई जा रही है. सरकार के मुताबिक़ देशभर के क़रीब 170 विद्युत उत्पादन संयंत्रों में महज चार दिनों का रिजर्व स्टॉक बचा है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सितंबर और अक्टूबर के महीने में कोयले की आपूर्ति बाधित हुई हो. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के पिछले सालों के आंकड़ों से ये बात साफ़ होती है

क्या कहते हैं आंकड़े?

2017 में एक सितंबर को जहां बिजली उत्पादन संयंत्रों में 8 दिनों का रिजर्व कोयला बचा था वहीं 7 अक्टूबर तक आते आते रिजर्व स्टॉक महज 5 दिनों का रह गया था. ऐसी स्थिति क़रीब 12 दिनों तक बनी रही इसी तरह 2018 में आठ अक्टूबर को रिजर्व स्टॉक महज 6 दिनों का रह गया था और स्थिति अगले 20 दिनों तक रही थी हालांकि 2019 में हालात में थोड़ा सुधार आया. लेकिन फिर भी 10 अक्टूबर को रिजर्व स्टॉक 10 दिनों का रह गया था जो औसत मानक से काफ़ी कम थी

इन सालों में भी कई प्लांट ऐसे थे जिनमें कोयले का रिजर्व स्टॉक केवल एक या दो दिनों का बचा था 2020 में लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था में आई मंदी से बिजली की मांग काफ़ी कम हो गई थी लिहाज़ा कोयले का रिजर्व स्टॉक आरामदायक स्तर पर रहा

रिजर्व स्टॉक का इस्तेमाल तभी होता है जब रोज़ाना बिजली उत्पादन प्लांटों को की जाने वाली कोयले की आपूर्ति उनकी खपत से कम होती है. अगर आपूर्ति खपत से ज़्यादा होती है तो अतिरिक्त कोयले को रिजर्व स्टॉक में डाल दिया जाता है. इस साल कोयले की आपूर्ति में कमी की वजह कई रही जिनमें एक वजह उसके आयात में आई कमी है. इसकी एक बड़ी वजह अंतराष्ट्रीय बाज़ार में कोयले के दाम में आई जबरदस्त तेज़ी भी है.

  • 7 अक्टूबर 2017 को जो कोयले का रिजर्व स्टॉक था उसमें आयातित कोयले का हिस्सा 4.35 लाख टन था.
  • 8 अक्टूबर 2018 को रिजर्व स्टॉक का 3.41 लाख टन हिस्सा आयातित कोयले का था.
  • 2019 में आयातित कोयले का हिस्सा काफ़ी बढ़ गया. 10 अक्टूबर 2019 को रिजर्व कोटे में इसका हिस्सा 13.21 लाख टन पहुंच गया.
  • जबकि इस साल 7 अक्टूबर को आयातित कोयले का हिस्सा महज 1.24 लाख टन रह गया था.
  • ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने इस बात को रेखांकित भी किया था की सरकार कोयले के मामले में आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है. उधर देशभर में जारी कोयले की किल्लत को दूर करने के लिए खुद गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाली. अमित शाह ने बिजली मंत्री आर के सिंह और कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी के साथ साथ एनटीपीसी, बिजली मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर किल्लत से निपटने के उपायों की समीक्षा की. सूत्रों के मुताबिक़ अमित शाह ने मंत्रियों और अधिकारियों से जल्द से जल्द हालात सुधारने के उपाय करने के निर्देश दिए.

सरकार पहले ही ये आश्वस्त कर चुकी है कि कोयले की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी और बिजली की आपूर्ति निर्बाध रूप से जारी रहेगी. शनिवार को इसके संकेत भी मिले जब काफ़ी दिनों के बाद पहली बार विद्युत उत्पादन संयंत्रों को की गई कोयले की आपूर्ति उनकी खपत से ज़्यादा रही.

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