एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित है तो वहीं यूपी के जनपद एटा में डेंगू के डंक ने मौत का ऐसा तांडव मचाया है कि कसेटी गांव में मौत का मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. डेंगू की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 7 दिनों में करीब 13 लोगों की जान चली गई जबकि सैकड़ों लोग डेंगू की बीमारी से ग्रसित हैं और आगरा, अलीगढ़, इटावा जैसे महानगरों के बड़े हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे हैं. डेंगू केे खौफ से लोग घर में ताला डालकर भाग चुके हैं.
पूरे गांव में डेंगू की इतनी दहशत बढ़ गई है कि गांव से करीब एक दर्जन परिवार गांव से पलायन कर गया है. कसैटी गांव की गलियों में मातमी सन्नाटा छाया हुआ है. इस गांव के हर घर से कोई न कोई डेंगू से पीड़ित है. कोई अपने प्रियजन की मौत से मातम मना रहा है तो कोई डेंगू की बीमारी से ठीक होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है.
ग्रामीणों में इस बात के लिए भी आक्रोश है कि स्वास्थ्य विभाग सिर्फ औपचारिकता भर कर रहा है. इस भयावहता में भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में कोई कैंप नहीं लगाया, सिर्फ दवा के नाम पर कुछ गोलियां बांटकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है.
जिला प्रशासन की इस बेरुखी से आहत ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा है कि सरकार, अब तो हमारी जान बचा लो.
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया अधिकारी का कहना है कि डेंगू की बीमारी के फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार इस गांव का दौरा कर रही है और हमने गांव के लोगों के टेस्ट भी किए हैं और दवाएं भी स्वास्थ्य विभाग बांट रहा है. डेंगू से घबराकर गांव के लोग प्राइवेट हॉस्पिटल में अपना रुख कर रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम अपना काम कर रही है.
स्वास्थ्य विभाग के इस दावे पर नजर डाली जाए तो मामला उलटा ही नजर आता है. यहां हर दूसरे घर में मौत का मातम छाया हुआ है, किसी के घर से बुजुर्गकी मौत हुई है तो किसी के घर में जवान बेटे और बेटी की मौत हुई है. गांव के एक-दो घर में तो हालात इतने भयावह है कि घर के तीन-तीन सदस्यों की डेंगू से मौत हो चुकी है.
इस बारे में अपने पिता की मौत का गम झेल चुके प्रवेश राजपूत ने बताया कि हमारे गांव में डेंगू-मलेरिया और पीलिया जैसी बहुत सारी बीमारियां चल रही हैं, कोई मदद नहीं कर रहा है. इसमें कई लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों की तादाद में लोग हॉस्पिटल में भर्ती हैं और गांव में से कई परिवार गांव छोड़कर बाहर जा चुके हैं. मेरे पिता की भी 14-15 दिन इलाज के बात मौत हो गई.