सरकार ने संकेत दिया है कि उसे जुलाई, 2021 तक 30 करोड़ खुराक की जरूरत होगी. शुरुआत में यह टीका स्वास्थ्य कर्मियों और बुजुर्गों को लगाया जाएगा. यह वैक्सीन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दी जानी है.
भारत के औषधि नियामक (DGCI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में बने टीके ‘कोवैक्सीन’ को देश में सीमित आपात इस्तेमाल के लिए रविवार को मंजूरी दे दी. इससे देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान का रास्ता साफ हो गया है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 से जुड़ी विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिश के आधार पर भारत के औषधि महानियंत्रक (DGCI) ने यह मंजूरी दी है.
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों समेत कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों का पहले चरण में टीकाकरण करने के लिए देश में टीके का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है. पॉल कोविड-19 के टीकाकरण को लेकर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के चेयरमैन भी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही टीके की खरीद और उसके वितरण की अपनी योजना का खुलासा करेगी.
3-4 डॉलर एक टीके का दाम
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड के टीके की लागत सरकार को प्रति खुराक 3-4 डॉलर (219-292 रुपये) बैठेगा. इस वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) बना रही है. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एसआईआई के पास कोविड-19 वैक्सीन की खुराक के उत्पादन का लाइसेंस है और अबतक वह पांच करोड़ खुराक बना भी चुकी है. एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला के मुताबिक, कंपनी पहले चरण में भारत सरकार और जीएवीआई (वैक्सीन और टीकाकरण के वैश्विक गठजोड़) देशों को कोविशील्ड की बिक्री शुरू करेगी. उसके बाद वैक्सीन की बिक्री निजी बाजार को की जाएगी.
2021 तक 30 करोड़ खुराक की जरूरत
बाद में सीरम के पास इस टीके की 10 करोड़ खुराक होगी. अप्रैल तक संभवत: यह आंकड़ा दोगुना हो जाएगा. उधर सरकार ने संकेत दिया है कि उसे जुलाई, 2021 तक 30 करोड़ खुराक की जरूरत होगी. शुरुआत में यह टीका स्वास्थ्य कर्मियों और बुजुर्गों को लगाया जाएगा. यह वैक्सीन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दी जानी है. पहले चरण में 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी. उसके बाद भी यह पहला फेज जारी रहेगा जिसमें 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. उसके बाद बाकी लोगों का नंबर आएगा. यह बहुत जटिल प्रक्रिया और इसके लिए 90 हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है.
टीकाकरण के लिए ये चाहिए कागजात
वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति के पास कुछ जरूर कागजात भी होने चाहिए. इन कागजातों के आधार पर ही वैक्सीन दी जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार ने कागजातों की एक लिस्ट जारी की है जिसे टीकाकरण के लिए जरूरी बताया गया है. कागजातों की लिस्ट में आधार कार्ड, मतदाता पहचान-पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, सर्विस पहचान-पत्र, मनरेगा जॉब कार्ड, पासपोर्ट, स्मार्ट कार्ड, पेंशन पहचान पत्र, कार्यालय पहचान पत्र, बैंक/पोस्ट ऑफिस पासबुक और स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड शामिल है. इनमें से किसी एक कागजात के आधार पर ही वैक्सीनेशन के लिए कोई व्यक्ति रजिस्टर हो पाएगा.
किसे लगेगा टीका
दिल्ली सरकार ने रविवार को घोषणा की कि वह टीकाकरण के पहले चरण में 500 से 600 कोविड केंद्र जल्द ही शुरू करेगी. पहले चरण में 500-600 कोविड केंद्र स्थापित किए जाएंगे और इसे 1,000 तक बढ़ाया जा सकता है. दिल्ली में 3 लाख स्वास्थ्य कर्मचारी और 6 लाख फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं. इन 9 लाख लोगों को टीका पहले लगाया जाएगा. कागजातों के बारे में सरकारें बती रही हैं कि क्या डॉक्यूमेंट्स जरूरी होंगे. हालांकि यह जान लेना भी जरूरी है कि पहले फेज में आम लोगों को टीका नहीं दिया जाएगा.
सरकार ने अभी ऐसे लोगों के लिए कोई योजना नहीं बनाई है. साथ ही जो लोग पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें भी टीका नहीं दिया जाएगा. कोरोना से संक्रमित लोगों में 6-7 महीने तक एंटीबॉडी रहती है. इसलिए इस श्रेणी के लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत नहीं होगी.