SC on Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई करेगा. बीते दिन हुई सुनवाई में कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह एक स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन करेगा. साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को 24 घंटे का समय देते हुए कहा था कि वो कुछ करें, नहीं तो अब कोर्ट कदम उठाएगा. कोर्ट ने सख्त रैवया दिखाते हुए सुनवाई में दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई. कोर्ट ने सीधे शब्दों में कहा कि, दिल्ली सरकार सिर्फ प्रचार पाने की कोशिश में जुटी रहती है. उनके प्रयासों में कोई गंभीरता नहीं दिखती.
टास्क फोर्स बनाने का संकेत
कोर्ट का मानना था कि केंद्र और राज्य सरकारें बहुत तरह के काम करने का दावा कर रही हैं लेकिन हकीकत में कुछ भी होता हुआ नहीं दिख रहा है. जजों ने कहा कि इस समय भी AQI स्तर 450 से ऊपर है. चीफ जस्टिस रमना ने आगे कहा, “हम तीनों जज आपस में बात कर रहे थे कि अब हमें कोई सख्त कदम उठाना पड़ेगा. हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन कर सकते हैं. फ्लाइंग स्क्वाड भी बनाए जा सकते हैं, जो प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, निर्माण और गाड़ियों पर सीधी कार्यवाही करें.”
स्कूल खोलने पर दिल्ली सरकार को फटकार
चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत के बेंच के सामने इस मसले पर दिल्ली सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए आज वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी खड़े हुए. सिंघवी ने दिल्ली सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी देने की कोशिश की. लेकिन चीफ जस्टिस ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने कहा, “हम सरकार की तरफ से कोर्ट में कही गई बातों को गंभीरता से लेते हैं. लेकिन क्या सरकार भी उतनी गंभीर है. आपने इससे पहले हमें कहा था कि दिल्ली में स्कूल बंद रखे गए हैं. लेकिन मैंने आज अखबारों में देखा कि छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जा रहे हैं. माता-पिता घर से काम करें और बच्चे स्कूल जाएं, यह किस तरह की नीति है? आप कोर्ट में कुछ कहते हैं और सच्चाई कुछ और होती है. क्या आप चाहते हैं कि हम दिल्ली सरकार पर निगरानी रखने के लिए किसी को नियुक्त करें?”
सिंघवी ने बच्चों की पढ़ाई के नुकसान जैसी दलीलों के जरिए सरकार की नीति के बचाव की कोशिश की. लेकिन जज इससे अधिक आश्वस्त नजर नहीं आए. इस बीच याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने सेंट्रल विस्टा में चल रहे निर्माण कार्य का मसला उठा दिया. उन्होंने कहा कि वहां पर बड़े पैमाने पर धूल उड़ रही है. प्रदूषण को नियंत्रित रखने का दावा गलत है. केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया. उन्होंने परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का बताया.