Education News: कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार ने छात्रों से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है. राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके मुताबिक कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए 7 फरवरी से हर मोहल्ले में प्राथमिक से कक्षा सात तक के बच्चों के लिए खुले में शिक्षा सत्र आयोजित किए जाएंगे. इससे पहले सरकार ने कक्षा 8 से 12 तक के स्कूल 3 फरवरी यानी गुरुवार से खोलने का फैसला किया था. इस दौरान कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं.
स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि ‘परे शिक्षालय’ (मोहल्ले में शिक्षा केंद्र) नामक परियोजना के तहत शब्द ज्ञान, अंकगणित, कहानी सुनाना, कविता, गायन और नृत्य तथा अन्य विषयों की कक्षाएं संचालित होंगी. कोविड सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए दो पालियों में सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 1:30 बजे से 3:30 बजे तक कक्षाएं संचालित की जाएंगी.
शिक्षा मंत्री व्रात्य बसु ने कहा कि ‘परे शिक्षालय’ परियोजना में 50,159 स्कूल शामिल होंगे जिसमें स्कूल की इमारत के पास वाले खुले मैदान में कक्षाएं संचालित होंगी. उन्होंने बताया कि वहां दो लाख नियमित शिक्षक और 21 हजार निविदा शिक्षक बच्चों को पढ़ाएंगे. इससे लगभग 60 लाख बच्चों को फायदा होगा. शिक्षाविद पवित्र सरकार ने कहा कि इस परियोजना से कोई सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, ऐसा नहीं लगता. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि इसके लिए आवश्यक अवसंरचना बनाई जा सकती है या नहीं.” एसएफआई के प्रदेश महासचिव सृजन भट्टाचार्य ने कहा कि यह परियोजना केवल एक नौटंकी है और इतने सारे छात्रों के लिए कक्षा चलाने के वास्ते अवसंरचना उपलब्ध नहीं है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव सप्तर्षि सरकार ने कहा कि गंभीर चर्चा किये बिना ‘परे शिक्षालय’ परियोजना की घोषणा कर दी गई और केवल नियमित कक्षाओं से ही छात्रों का भला हो सकता है. तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के प्रदेश अध्यक्ष तृणांकुर भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार की इस अनूठी पहल से निचली कक्षाओं के छात्रों को लाभ होगा जो महामारी की स्थिति के कारण नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.