प्रदूषण के चलते दिल्ली-हरियाणा में निर्माण गतिविधियों पर रोक, मजदूर संघों ने सुप्रीम कोर्ट में रखी ये मांगें

नई दिल्ली: प्रदूषण को लेकर दिल्ली-NCR (Delhi-NCR Pollution) में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध पर मजदूर संघ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गए हैं. मजदूरों के लिए काम बंद होने पर मुआवजे की मांग की गई है. उनकी ओर से कहा गया है कि निर्माण गतिविधियों पर ब्लेंकेट बैन लगाना उचित नहीं है. गैर प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों को मिले इजाजत मिलनी चाहिए.

निर्माण पर अचानक पूर्ण प्रतिबंध लगाने से गंभीर वित्तीय नुकसान और उत्पीड़न होता है.दिल्ली और हरियाणा सरकार भवन निर्माण श्रमिकों के लिए काम बंद होने के दिनों में अनुग्रह राहत योजनाएं तैयार करें . प्रतिबंध लगाने से पहले 15 दिन का नोटिस दें. मजदूरों ने SC में दिल्ली- NCR प्रदूषण मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है.

दरअसल याचिका में कहा गया है कि गैर-प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों जैसे प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, बढ़ई, पेंटर, वेल्डर, घिसाई मिस्त्री, राज मिस्त्री आदि पर प्रतिबंध हटा दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली और हरियाणा सरकार को निर्देश देना चाहिए कि वह प्रतिबंध को केवल तोड़फोड़ और खुदाई कार्यों तक ही सीमित रखें. निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के लिए कम से कम 15 दिन पहले पर्याप्त पूर्व सूचना और प्रचार होना चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली और हरियाणा सरकार को भवन निर्माण श्रमिकों के लिए उन दिनों के लिए अनुग्रह राहत योजनाएं बनाने की आवश्यकता है, जब उन्हें काम से निकाल दिया जाता है. निर्माण पर अचानक पूर्ण प्रतिबंध लगाने से श्रमिकों को गंभीर वित्तीय नुकसान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. अचानक सामान्य रोक काम के मौलिक अधिकार का हनन करती है. निर्माण क्षेत्र दिल्ली में सबसे अधिक संख्या में श्रमिकों को रोजगार देता है. इस तरह के प्रतिबंधों के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई. इस तथ्य के बावजूद कि हवा की गुणवत्ता का अनुमान लगाया जा सकता है. निर्माण श्रमिकों को पहले ही महामारी और तालाबंदी के दौरान भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा है, जब निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तो अन्य गैर-प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं – प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, बढ़ई, पेंटर, वेल्डर, घिसाई मिस्त्री, राज मिस्त्री आदि.

सरकार वाहन मालिकों को महीनों पहले नोटिस देती है. जब ऑड-ईवन लगाया जाना तय होता है, लेकिन निर्माण क्षेत्र पर प्रतिबंध, जो दिल्ली में सबसे अधिक संख्या में श्रमिकों को रोजगार देता है, बिना किसी नोटिस के लगाया जाता है. ये आवेदन वरिष्ठ अधिवक्ता शिवेंद्र सिंह के माध्यम से दायर किया गया है. ये याचिका नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर सेंट्रल लेजिसलेशन ऑन कंट्रस्कशन वर्कर्स दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड और हरियाणा बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड ने दाखिल की है.

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