रामलीला मैदान पर आज कांग्रेस का हल्लाबोल, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बरसेंगे राहुल गांधी

7 सितंबर से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (Bharat Jodo Yatra) की शुरूआत से पहले कांग्रेस आज रामलीला मैदान (Ram Leela Ground) पर बीजेपी (BJP) के खिलाफ महंगाई से लेकर बेरोजगारी और जीएसटी के मुद्दे पर घेरते दिखेगी. रामलीला मैदान में आज होने वाली इस रैली में कांग्रेस ने बड़ी संख्या में लोगों के जुटने का दावा किया है. साथ ही देशभर से कांग्रेस कार्यकर्ता भी इस रैली में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. 

कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रैली से ठीक पहले सुबह करीब 11 बजे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मुख्यालय में एकत्रित होंगे. यहां ये सभी बसों में बैठकर रामलीला मैदान के लिए निकलेंगे. बताया जा रहा है जहां एक ओर पार्टी इस रैली को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर चुकी है वहीं पुलिस ने भी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खास इंतजाम किए हैं.

7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा की होगी शुरुआत

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सात सितंबर से कन्याकुमारी से कश्मीर तक विपक्षी पार्टी की 3,500 किलोमीटर की ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ से पहले हो रही है, जहां राहुल गांधी देश भर में यात्रा कर महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर जोर देंगे और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देंगे. ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ कांग्रेस पार्टी का अब तक का सबसे बड़ा जनसंपर्क कार्यक्रम है, जहां पार्टी के नेता जमीनी स्तर पर आम लोगों तक पहुंचेंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इलाज के लिए देश से बाहर गई हैं और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी उनके साथ गई हैं, इस कारण दोनों कार्यक्रमों में भाग नहीं लेंगी. राहुल गांधी भी इस समय अपनी मां सोनिया गांधी के साथ विदेश में हैं, लेकिन वह शनिवार तक लौट आएंगे और दोनों विशाल कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे.

आम लोगों के मुद्दे हैं- कांग्रेस

कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी को लेकर सरकार पर हमला करती रही है और कहती रही है कि ये आम लोगों के मुद्दे हैं और इस पर सभी मंचों पर चर्चा होनी चाहिए. पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद भी जम्मू के सैनिक फार्म में अपनी पहली जनसभा को संबोधित करने वाले हैं. अपने त्याग पत्र में कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने वाले आजाद रविवार को अपना हमला और तेज कर सकते हैं.

हालांकि, कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक बयानों को सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर शुरू की गई ‘‘ध्यान भटकाने की रणनीति’’ करार दिया.

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