किसानों का समर्थन करने अमेरिका से वापस लौटा पंजाब का छात्र, कहा- अधिकारों की लड़ाई में साथ

नवपाल सिंह (Navpal Singh) ने कहा कि किसान आंदोलन ने (Farmer Protest) उन्हें अपने घर वापस आने पर मजबूर कर दिया. दरअसल नवपाल अमेरिका (US) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं. उनके पिता और दादा एक किसान हैं.

केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farm Law) के खिलाफ किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए पंजाब का एक छात्र (Punjab Student) अमेरिका से वापस (Return From Us) लौट आया है. अगर किसान आंदोलन अगर नहीं चल रहा होता, तो पंजाब के 22 साल के छात्र नवपाल सिंह की अमेरिका (US) के टेक्सास से इस समय वापस आने की कोई योजना नहीं थी. नवपाल सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन (Farmer Protest) ने उन्हें अपने घर वापस आने पर मजबूर कर दिया. दरअसल नवपाल अमेरिका में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं. उनके पिता और दादा एक किसान हैं.

अमेरिका से वापस लौटे (US Return Student) नवपाल सिंह ने कहा कि पिछली बार वह मार्च (March) महीने में ही अपने घर आए थे, उन्हें अभी एक साल से भी कम समय हुआ है, लेकिन किसान आंदोलन की वजह से वह वापस लौटने पर मजबूर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इतनी जल्दी घर लौटने (Return) की उनकी कोई योजना नहीं थी. लेकिन जिस तरह से यह आंदोलन चल रहा है, वह इससे ज्यादा दूर नहीं रह सकते थे. नवपाल सिंह सोमवार को ही अमेरिका से भारत लौटे थे, उसके बाद से वह हर दिन पंजाब के जालंधर में अपने पैतृक गांव और सिंघु बोर्डर के बीच की आवाजाही कर रहे हैं.

किसानों का समर्थन करने US से लौटा छात्र
पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं, जो सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

नवपाल सिंह भले ही खुद एक किसान नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपनी कृषि पृष्ठभूमि के वजह से आंदोलन का हिस्सा बनने की जरूरत महसूस की. क्यों कि खेती की वजह से ही उन्हें अमेरिका में पढ़ाई करने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि लोगों को लग रहा है कि उनका खेती से सीधा संबंध नहीं है. उन्होने कहा कि लोगों को लगता है कि वह अमेरिका में पढ़ेंगे, वहीं काम करेंगे औ वहीं शादी भी करेंगे. नवपाल ने कहा कि वह किसानों के बिना अमेरिका में नहीं रह सकेंगे. उन्होंने कहा कि फिलहाल उनकी जिम्मेदारी यह है कि उन्हें आगे आकर अधिकारों की लड़ाई में किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए.

शुक्रवार को सरकार-किसानों की वार्ता
बतादें कि कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है. हालांकि इसके बाद भी दोनों के बीच किसी भी बात को लेकर सहमति नहीं बन सकी है. शुक्रवार को दोनों के बीच अगले दौर की वार्ता होनी है.

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