बीजेपी की सत्ता में वापसी से विपक्ष में मची खलबली, विपक्ष खड़ा है टूट की कगार पर …

राहुल गांधी के इस्तीफे पर अड़ने के बाद अभूतपूर्व संकट से जूझ रही कांग्रेस राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपने नेताओ में हो रही बगावत से जूझ रही है. बंगाल में ममता बनर्जी के सामने अब अपनी पार्टी को संभालने की चुनौती आ खड़ी हुई है। इधर कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार भी हिल रही है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक और पश्चिम बंगाल तक विपक्ष एक के बाद एक झटके झेल रहा है। एक नजर इन चारों राज्यों में चल रही सियासी उठापटक पर

राजस्थान में चल रही सियासी रस्साकशी के बीच अब उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग उठने लगी है। राजस्थान कांग्रेस कमिटी के सचिव सुशील आसोपा ने सचिन पायलट का सीएम पद के लिए समर्थन करते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की है।

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इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘राजस्थान में कहीं चले जाओ, एक ही आवाज आती है- कांग्रेस अगर सचिन पायलट को 5 साल की मेहनत के प्रतिफल में मुख्यमंत्री बनाती तो आज राजस्थान में लोकसभा चुनाव के परिणाम कुछ और होते। लोग कहते हैं कि पायलट की 5 साल तक की अथक मेहनत के कारण ही वह माहौल बना जिससे कांग्रेस के विधायक जीते क्योंकि युवाओं को लगता था कि इस बार पायलट को मौका मिलेगा।’

उधर, राजस्थान बीजेपी के उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने कहा, ‘मैं पार्टी का आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हूं लेकिन मैंने सुना है कि यहां के बीएसपी विधायक खुश नहीं हैं और यहां तक की कांग्रेस के 20-25 विधायक भी नाखुश हैं। मैं इस मामले में कुछ टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।’

बीजेपी नेता भवानी सिंह राजावत ने कहा, ‘कांग्रेस की राज्य में जो स्थिति हैं, उसमें हमें ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कांग्रेस खुद अपनी सरकार गिराने पर तुली है। मुझे लगता है कि अगर इसी तरह कांग्रेस में इस्तीफों का दौर जारी रहा तो कांग्रेस अल्पमत में आ जाएगी और सरकार खुद गिर जाएगी।’

इससे पहले सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष से मिलने पहुंचे पर उन्होंने मुलाकात से इनकार कर दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने अपने आवास पर सोमवार सुबह 11 बजे गहलोत को मिलने का समय दिया था। प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों एवं विधायकों ने मांग की है कि इस चुनावी शिकस्त के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए। ऐसे में इस बात की चर्चा गर्म है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। खबर है कि राहुल के मना करने के बाद गहलोत ने वेणुगोपाल और पार्टी नेता अहमद पटेल से मुलाकात की।

मध्य प्रदेश: कमलनाथ के लिए ‘आगे BJP, पीछे सिंधिया’ वाली स्थिति
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच एक ऑडियो ने कमलनाथ की मुश्किलों में इजाफा किया है। इस ऑडियो में कमलनाथ अपने ओएसडी कक्कड़ से कथित तौर पर कटनी के खनन और परिवहन विभाग के अफसरों पर चुनाव के संबंध में दबाव बनाने के लिए कह रहे हैं। खबर है कि आयकर विभाग ने सीएम कमलनाथ समेत कई बड़े कांग्रेसी नेताओं पर कानूनी ऐक्शन के लिए डॉजियर तैयार कर लिया है।

लोकसभा चुनाव से पहले अप्रैल में आयकर विभाग ने कमलनाथ के करीबी सहयोगी प्रवीण कक्कड़ के दफ्तर और घर पर बड़े पैमाने पर छापे मारे थे। कक्कड़ के साथ ही कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी और कई कंपनियों के प्रतिष्ठानों पर देशभर में मारे गए छापों के दौरान 30 करोड़ कैश का पता चला था।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को बहुमत से 2 सीट कम 114 सीटें मिली थीं। चुनाव के बाद 4 निर्दलीय, बीएसपी के 2 और समाजवादी पार्टी (एसपी) के 1 विधायक के समर्थन की बदौलत कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था। फिलहाल कमलनाथ सरकार के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत से 5 ज्यादा है। वहीं बीजेपी के पास 109 विधायक हैं। यदि बीजेपी को 7 विधायकों का समर्थन मिल जाए तो कांग्रेस की सरकार गिर सकती है।

कर्नाटक
कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की अगुआई वाली जेडीएस-कांग्रेस सरकार की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। कांग्रेस ने असंतुष्ट पार्टी विधायकों को मंत्री बनाने का प्लान तैयार किया था लेकिन अब यह भी कारगर होता नहीं दिख रहा है। लगातार बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच सीएम कुमारस्वामी ने असंतुष्ट विधायकों (मुख्य रूप से कांग्रेस) से निजी तौर पर मुलाकात की।

दोनों सहयोगी दलों के बीच दरार पड़ने की खबरों के बीच अपने किले को बचाने के लिए दिल्ली से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और राज्य के प्रभारी केसी वेणुगोपाल को बेंगलुरु भेजा गया है। इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने राज्य में फिर से चुनाव कराए जाने की मांग की है।

खबर है कि कम से कम एक दर्जन पार्टी विधायकों ने मंत्री बनने की इच्छा जताई है। कैबिनेट बर्थ की मंशा रखने वाले उत्तरी कर्नाटक के एक कांग्रेस विधायक ने कहा, ‘अगर बागियों को इनाम दिया जाता है तो हमें क्यों नहीं।’ पूर्व सीएम एन. धरम सिंह के बेटे और कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने कहा, ‘पार्टी को निष्ठावान विधायकों को इनाम देना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बागियों को तवज्जो मिल रही है।’

कांग्रेस विधायक वी. मुनियप्पा और निर्दलीय विधायक एच. नागेश ने भी पार्टी नेतृत्व से इस हफ्ते होने वाले संभावित कैबिनेट विस्तार में अपने नामों पर विचार करने की अपील की है। दोनों विधायकों ने कुमारस्वामी से मुलाकात की। खास बात यह है कि नागेश को ऑस्ट्रेलिया से लौटे जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार अपने साथ लेकर गए थे।

नागेश ने कहा, ‘डीके ने भी कहा कि मेरे साथ अन्याय हुआ। वही मुझे सीएम के पास लेकर गए थे।’ इधर डीके शिवकुमार ने कहा, ‘जैसा कि गांधी कहते थे न बुरा बोलो, न बुरा देखो और न बुरा सुनो, मैंने फैसला किया है कि इन सभी घटनाक्रम पर कुछ नहीं बोलूंगा।’

बीजेपी की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने मंगलवार को कहा कि बेहतर होगा कि राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन विधानसभा को भंग कर दे और नए सिरे से चुनाव हों। येदियुरप्पा ने कहा कि राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर हमने जीत हासिल की है और 224 विधानसभाओं में से 177 में हम नंबर एक पर हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में वे विधानसभा भंग कर दें और नए सिरे से चुनाव कराएं। हम इसका स्वागत करेंगे।’

कुमारस्वामी ने मंगलवार को बेंगलुरु से आने वाले कांग्रेस के दो विधायकों एसटी सोमशेखर और बी बासवराज से मुलाकात कर उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया। 225 विधानसभा सीटों वाली राज्य विधानसभा में बीजेपी के 105 सदस्य हैं और वह सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 117 सदस्य हैं जिसमें कांग्रेस के 79, जेडीएस के 37 और बीएसपी के एक विधायक शामिल हैं।

पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को बड़ा झटका देने के बाद बीजेपी ने मंगलवार को फिर सेंध लगाई। टीएमसी के दो विधायक और 50 के करीब पार्षद बीजेपी में शामिल हुए हैं। दिल्ली में इन नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। 2017 में बीजेपी में शामिल हुए टीएमसी के पूर्व दिग्गज नेता मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय समेत तीन विधायक पार्टी में शामिल हुए हैं। एक विधायक वामपंथी दल सीपीएम का है। शुभ्रांशु रॉय बीजपुर से विधायक हैं। उनके अलावा विष्णुपुर से टीएमसी के विधायक तुषार कांति भट्टाचार्य, हेमताबाद से सीपीएम के विधायक देवेंद्र रॉय ने भी पार्टी की सदस्यता ली।

काचरापारा म्युनिसिपलिटी के 17 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए। इनमें म्युनिसिपलिटी के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन समेत 17 पार्षद बीजेपी में शामिल हुए हैं। कुल 26 पार्षदों वाले इस सदन के 17 सदस्यों के बीजेपी में शामिल होने से यहां बीजेपी सत्ता में आ गई है। इसके अलावा दो अन्य म्युनिसिपलिटी पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। तीनों म्युनिसिपलिटी के लगभग 50 पार्षद शामिल हुए हैं।

विधायकों और पार्षदों को बीजेपी में शामिल कराते हुए पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने टीएमसी को अभी और झटके देने की बात कही। विजयवर्गीय ने कहा कि यह अभी पहला चरण ही है। जिस तरह से चुनाव 7 चरणों में हुए थे, उसी तरह से 7 राउंड में बीजेपी में भी नेताओं को शामिल किया जाएगा। ऐसे में टीएमसी के लिए आने वाले दिन आसान नहीं रहेंगे। राज्य में 2021 में विधानसभा चुनाव होना है। इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 40.3 है जो कि टीएमसी के 43.3 से सिर्फ 3 फीसदी कम है। 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी के वोटों में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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