कनाडा में रहस्यमयी बीमारी से मचा हड़कंप, मरीजों को सपने में दिखाई दे रहे मरे हुए लोग

कोरोना वायरस महामारी के बीच एक रहस्यमयी दिमागी बीमारी से कनाडा में खौफ और चिंता फैल गई है. हालांकि, बीमारी का पता ठिकाना अभी तक अज्ञात है, लेकिन उसने कनाडा के मेडिकल विशेषज्ञों और वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट को हैरान कर दिया है. मरीजों को इनसोमनिया, अंगों में शिथिलता, मतिभ्रम जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें सपने में मरे हुए लोग दिखाई दे रहे हैं.

रहस्यमयी बीमारी से कनाडा में बढ़ी चिंता

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अटलांटिक तट पर बसे न्यू ब्रंसविक में अज्ञात बीमारी का पता छह साल पहले चला था. ये देखते हुए कि बीमारी दिमाग को प्रभावित करती है, उसके साथ आए कुछ लक्षण काफी चिंताजनक हैं. इन सुराग को समझने के लिए न्योरोलॉजिस्ट दिन रात जुटे हुए हैं. पिछले छह वर्षों में दर्जनों लोग बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें छह लोगों के मरने की खबर है.

बीमारी के तलाशे जा रहे संभावित कारण

इधर, बीमारी फैलने के साथ कई तरह की बातें कही जा रही हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा है कि मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से बीमारी फैल रही है. कुछ लोगों ने तो कोविड-19 वैक्सीन को संभावित जिम्मेदार माना है. हालांकि, अभी तक किसी भी दावे की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी की बढ़ती चिंता के कारण, रहस्यमयी बीमारी शुरू में लोगों का ध्यान नहीं खींच सकी. लेकिन 48 मामलों और छह मौत होने पर अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है. स्वास्थ्य मंत्री डोरोथे शेफर्ड ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “संभावित रूप से नया और अज्ञात सिंड्रोम की खोज डरावना है. मैं जानता हूं कि न्यू ब्रंसविक के लोग इस संभावित न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम के बारे में चिंतित और भ्रमित हैं.”

विशेषज्ञों की टीम पहचान में आए इस नए न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम को समझने के काम में जुटी है. विशेषज्ञ दीमागी बीमारी से जुझ रहे हर मरीज की पूर्ण रूप से क्लीनिकल समीक्षा करेंगे. बीमारी का पहली बार पता 2015 में चला था जब न्यू ब्रंसविक के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर एलियर मेरेरो ने एक मरीज में लक्षणों का विचित्र मिश्रण जैसे चिंता, डिप्रेशन, तेजी से बढ़ती हुई डिमेंशिया, मांसपेशी का दर्द और भयावह दृश्य गड़बड़ी देखा. तीन साल बाद उनके पास इस तरह के आठ मामले हो चुके थे. अगले साल मरीजों की कुल संख्या 20 हो गई, फिर उसके बाद 38 और अब, 48 लोगों के इसकी चपेट में आने के बाद चिंता बढ़ गई है.

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